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टिकैत सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि आंदोलन को बदनाम करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई। इसे कभी खालिस्तान का आंदोलन तो कभी पंजाब-हरियाणा का आंदोलन बताया गया। जबकि किसान नहीं टूटे और यह सबका आंदोलन बन चुका है। इसके पहले उन्होंने मीडिया से इसे विचारों का आंदोलन कहा। उन्होंने किसानों को आगाह करते हुए कहा कि अगर नहीं चेते तो सबकुछ छिन जाएगा। तीनों कृषि कानून छीनने के कानून हैं। हर जगह से किसान आंदोलन के लिये निकल रहे हैं। 2021 किसान आंदोलन के नाम रहेगा।
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टिकैत ने कहा कि यूपी के सीएम ने एमएसी पर खरीद की बात कही थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अगर नहीं चेते तो सबकुछ खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि खाद बीज के थाने खुलेंगे, ऐसी कोशिशें की जा रही हैं। सरकार भूख के आधार पर कीमतें तय करना चाहती है। इनकी मंशा छोटे बाजार, दुकान बंद करने की हैं, रोजगार खत्म हो जाएंगे। हमें लड़ाई लड़नी पड़ेगी तभी ये पीछे हटने को मजबूर होंगे।
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टिकैत ने कहा कि लड़ाई सिर्फ तीन बिल की नहीं, बल्कि किसानों के आत्मसम्मान की है। अगर किसान हारा तो देश का मजदूर व नौहवान भी होगा। महापंचायत में आए किसानों से आह्वान करते हुए कहा कि एक गांव, एक ट्रैक्टर, 15 आदमी और 10 दिन चाहिये। कृषि कानून वापस हो जाएंगे।
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इसके पहले उन्होंने गाजीपुर में मीडिया से कहा कि सरकार हमारी नहीं सुन रही है। वो किसानों से बात नहीं करना चाहते। पहले जिस तरह से बात हो रही थी उस तरह से बात हो और अगर वो हमें बुलाएं तो आपस में सहमति करके हमारी टीम जरूर जाएगी। पर मध्यस्थता वो करे जिसके पास पावर हो। मध्यस्थ को फुल पावर और फैसला करने की शक्ति होना जरूरी है।
उनके अलावा भारतीय किसान यूनियन के महासचिव चौधरी युद्धवीर सिंह व राष्ट्रीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व एमएलसी रामाशीष राय ने भी महापंचायत को संबोधित किया। इसमें विजय बहादुर सिंह, पुरूषोत्तम शर्मा, भीमनाथ राय, शिवनारायण यादव, अजीत कुमार राय, ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा व डा. मदन राय आदि मौजूद थे।