उत्तराखंड के हरिद्वार में हुई बलिया की युवती की शादी
दरअसल, उत्तराखंड के हरिद्वार निवासी बसंत कुमार की शादी 29 अप्रैल 1992 को
बलिया निवासी युवती से हुई थी। इलाहाबाद में हाईकोर्ट में याची बसंत कुमार ने बताया कि वह पेशे से इंजीनियर है। शादी के बाद याची की पत्नी बमुश्किल दो साल तक उसके साथ रही।
इस दौरान दोनों पक्षों के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे। इसके बाद आठ नवंबर 1995 को पत्नी ने उसे स्थायी रूप से छोड़ दिया और अपने माता-पिता के घर बलिया चली आई। इस दौरान याची ने हरिद्वार में सिविल जज, सीनियर डिवीजन की अदालत में तलाक का मुकदमा दायर किया।
पति के तलाक मांगने से गुस्साकर पूरे परिवार पर दर्ज कराया मुकदमा
इसकी जानकारी होने पर पत्नी ने मुकदमे की कार्यवाही बलिया स्थानांतरित करने का अनुरोध किया। इसपर सर्वोच्च न्यायालय ने मुकदमे की कार्यवाही बलिया स्थानांतरित कर दी। इसी बीच पत्नी ने अपने पति और उसके नाबालिग भाई-बहनों सहित पूरे परिवार पर दहेज उत्पीड़न सहित गंभीर धाराओं में आपराधिक मुकदमा दर्ज करा दिया। हालांकि विवाहिता के भाई ने गवाही के दौरान दहेज मांगने के आरोपों को खारिज कर दिया। इसके बाद बलिया में ट्रायल कोर्ट ने तलाक आवेदन को खारिज कर दिया। बलिया ट्रायल कोर्ट के आदेश को याची बसंत कुमार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या कहा?
इलाहाबाद
हाईकोर्ट ने बलिया ट्रायल कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए पति की तलाक के लिए दाखिल अपील को स्वीकार कर लिया है। न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने बंसत कुमार द्विवेदी की याचिका पर कहा कि तलाक मांगने पर पति और उसके नाबालिग भाई-बहनों सहित पूरे परिवार पर दुर्भावना से आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने को क्रूरता कहा है।
इस स्थिति में विवाह जारी रखने की उम्मीद नहीं की जा सकती। 29 साल तक बिना किसी कारण के पत्नी पति से अलग रह रही। जबकि विवाहिता के भाई ने गवाही में दहेज मांगने के आरोपों को झूठा करार दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट की इस टिप्पणी के बाद अब दोनों के बीच तलाक का रास्ता साफ हो गया।