वाहनों के चपेट में आ रहे वन्यप्राणी, वन विभाग नही गंभीर
बैहर/लामता। वन विभाग ने जिले के जंगल वाले मार्गो पर तार की फैंसिंग नहीं लगाई गई है। ऐसे में वन्यप्राणी विचरण करते हुए सडक़ पर आ रहे हैं, जो वाहनों की चपेट में आकर सडक़ दुर्घटना का शिकार हो रहे है। तीन दिन पूर्व ही बालाघाट से नैनपुर मार्ग पर धापेवाड़ा बीट अंतर्गत समनापुर के समीप वन्य प्राणी भालू सडक़ किनारे मृत हालत में मिला था। सडक़ पार करते समय अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी थी और हादसे में भालू ने मौके पर दम तोड़ दिया था। इधर वन्यजीव प्रेमियों ने जंगल वाले मार्ग पर तार फैंसिंग कराए जाने की मांग वन विभाग से की है, लेकिन जिम्मेदार इस मामले को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं।
जानकारी के अनुसार बालाघाट से लामता, मंडला-नैनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 543 है। इस मार्ग से 24 घंटे छोटे से लेकर बड़े वाहनों की आवाजाही बनी रहती है। सडक़ किनारे से उत्तर सामान्य लामता, दक्षिण सामान्य लामता व लामता प्रोजेक्ट के जंगल आते हंै। इन जंगलों की अधिकांश बीटे कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के कारीडोर के अलावा सिवनी पेंच के जंगलों से लगे होने से यहां बाघ, तेंदुआ, भालू, नीलगाय, सांभर, चीतल, बायसन समेत अन्य वन्यप्राणी बहुतायत में पाए जाते है। वन्यप्राणी कई बार सडक़ किनारे विचरण करते देखे भी जाते है। हालांकि उत्तर सामान्य लामता के जंगल वाले मार्ग पर वन्य प्राणियों को सडक़ पर आने से रोकने दस से 12 फीट ऊंचाई वाली फैंसिंग लगी है। लेकिन बालाघाट से नैनपुर मार्ग पर दक्षिण सामान्य लामता व लामता प्रोजेक्ट के घने जंगल वाले मार्ग पर फंैसिंग नहीं लगाई गई है। इससे वन्यप्राणी विचरण करते हुए सीधे सडक़ पर आ रहे है।
इन जगहों में नही लगी फैंसिंग
ग्रामीणों ने बताया कि धापेवाड़ा के आगे से लेकर समनापुर तक जंगल किनारे अनेक जगह फैंसिंग नही है। इसके अलावा मगरदर्रा से टिटवा और टिटवा से लेकर नहरा नदी तक है। एक ओर में फैंसिंग तो लगी है, लेकिन दूसरी तरफ में नही है। चाचेरी बीट के अंतर्गत नहरा नदी से लेकर चरेगांव के बीच में करीब डेढ़ किमी में फैंसिंग नहीं है। इस मार्ग से रात-दिन वाहनों का आना जाना लगा रहता है। सडक़ ठीक-ठाक रहने की वजह से वाहनों की गति अधिक होती है। वन्य जीव प्रेमियों की वन विभाग से मांग है कि जंगल वाले मार्ग पर वाहनों के दौडऩे की गति निर्धारित कर बोर्ड लगवाएं जाने चाहिए। इससे वन्यप्राणी वाहनों की चपेट में आने से बच जाएंगे।
वर्सन
जंगल वाले मार्ग चाहे जिले भर में कहीं के भी रहे। वन विभाग को वन्य प्राणियों की संख्या को देखते हुए वहां पर ऊंची फैंसिंग लगाई जानी चाहिए। वन्यप्राणी इससे सडक़ पर नहीं आ पाएंगे और सुरक्षित रहेंगे। जंगल वाले मार्ग पर वाहनों के दौडऩे की गति निर्धारित कर वन विभाग को बोर्ड लगाने की जरूरत हैं।
भूपेंद्र टेकाम, वन्य जीव प्रेमी