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बालाघाट

मुक्त कराए चार बंधुआ मजदूर

पुलिस ने बालाघाट जिले के चार श्रमिकों को बंधुआ मजदूरी से मुक्ति दिलाई है। हालांकि बंधक बनाने वाले ठेेकेदार को पुलिस नहीं पकड़ पाई है। मजदूरों को ले जाने वाला भी फरार है।

बालाघाटApr 21, 2016 / 12:31 am

mantosh singh

balaghat

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बालाघाट/रामपायली. ग्राम रामपायली से मजदूरी के नाम पर ले जाए गए पांच मजदूरों में से चार को रामपायली पुलिस ने आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के ग्राम वी कोत्तागोट्टा से ठेकेदार के चंगुल मुक्त कराया है। चोरों को छुड़ाकर 18 अप्रैल की देर रात्रि में वापस रामपायली लाया गया है। अब चारों मजदूर अपने परिजनों के पास आकर बेहद खुश हैं।
दूसरी ओर रामपायली पुलिस ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि इस मामले में क्या कार्रवाई की जाएगी। एसडीओपी आरएस राज ने बताया कि मामले की विवेचना की जा रही है और इस मामले में कानूनी सलाह लेने के बाद चालान पेश किया जाए या फिर खात्मा किया जाए, इसका निर्णय लिया जाएगा। 

यह है मामला

पुलिस के अनुसार रामपायली के चार मजदूर व कस्बीटोला के एक मजदूर को ग्राम रामपायली का ही मनोज पांडे नामक व्यक्ति अच्छी मजदूरी दिलाने का झांसा देकर ले गया था। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के ग्राम वी कोत्तागोट्टा में एक ठेकेदार के पास बोरवेल के काम पर लगा दिया था। यही नहीं उसने सभी मजदूरों के नाम से 6 माह की वेतन की राशि ठेकेदार से ले ली और मजदूरों को वहीं छोड़ कर आ गया था। इसका पता मजदूरों को कार्य करने के लगभग 15 दिन बाद चला। पांडे द्वारा ठेकेदार से ली गई राशि रामपायली लौट कर आने के बाद भी उनके परिजनों को नहीं दी गई थी। इस मामले में मोड़ तब आया, जब नर्मद सहारे ने मोबाइल पर चर्चा के दौरान राजकुमार राऊत के परिजनों को इस धोखाधड़ी की जानकारी दी थी। इसके बाद राजकुमार के परिजनों ने रिपोर्ट लिखाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस द्वारा रिपोर्ट नहीं लिखी गई। तब मीडिया का सहारा लिया और अंतत: पुलिस को रिपोर्ट दर्ज करनी पड़ी। पुलिस मजदूरों की तलाश में आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के वी कोत्तागोट्टा पहुंची और ठेकेदार के चंगुल से चारों मजदूरों को छुड़ा लिया। हालांकि एक मजदूर उनके साथ नहीं होने के कारण वह अभी तक नहीं मिल पाया हैं।

पीडि़तों ने बताई आपबीती

ठेकेदार के बंधन से छूट कर लौटे राजकुमार ब्रजलाल राऊत ने बताया कि जब पुलिस उन्हें लेने के लिए पहुंची, तो भी ठेकेदार द्वारा उन्हें नहीं छोड़ा जा रहा था और मनोज पांडे को लाने के लिए कहा जा रहा था और उसके पैसे वापस करने के लिए कह रहा था। पीडि़त राजकुमार ने बताया कि उन्हें सिर्फ भोजन दिया जा रहा था और कपड़े आदि धोने के लिए सामान लाने के लिए पैसे, उनकी मजूदरी की राशि उन्हें नहीं दी जा रही थी। पुलिस के दबाव में छोड़ा गया। इसके पूर्व उसने एक बार वहां से निकलने का प्रयास किया, तो ठेकेदार के कर्मचारियों ने उसे पकड़ कर मारपीट की। उसने बताया कि उनसे वहां पर जमकर कार्य कराया जाता था, लेकिन सुविधा नहीं दी जाती थी। फिलहाल अब वह वापस आकर बेहद खुश है और अपने भाई की शादी में शामिल हो रहा है।

इनका कहना है

आंध्रप्रदेश से मजदूरों को वापस लाया गया है। अभी इस मामले में विवेचना चल रही हैंं। इसमें कानूनी सलाह भी ली जाएगी, उसके बाद मामले का चालान पेश करना है या फिर उसका खात्मा करना है, इस पर विचार किया जाएगा।
आरएस राज, एसडीओपी वारासिवनी 

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