दरअसल शहर के सराफा व्यापारी राकेश सुराणा ने परिवार सहित सांसारिक सुख छोडऩे का फैसला लिया, उन्होंने अपनी पत्नी लीना और महज 11 साल के पुत्र अमय के साथ रविवार को दीक्षा ले ली, उनका दीक्षा समारोह जयपुर में संत श्रीमहेंद्र सागर महाराज सहित कई जैन संतों की निश्रा में हुआ, इस अवसर पर बालाघाट से भी सैंकड़ों लोग पहुंचे थे, बताया जा रहा है कि ये पहला अवसर था, जब किसी ने पूरे परिवार के साथ दीक्षा लेकर सांसारिक जीवन त्याग दिया है।
अमेरिका में पढ़ी है पत्नी
बताया जा रहा है कि सराफा व्यापारी राकेश सुराणा की पत्नी अमेरिका में पढ़ी लिखी हैं, वे बालाघाट में एक बड़ा स्कूल चलाती थीं, उनके यहां ऐशो आराम कि किसी बात की कमी नहीं थी, लेकिन संयम के पथ पर चलने के लिए उन्होंने पति और बेटे के साथ मिलकर दीक्षा ले ली अब वे भी हमेशा संसार के सुखों से दूर रहते हुए आत्मकल्याण के मार्ग पर चलेंगी।
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अब मिला परिवार को ये नाम
जैन संत बनने के साथ ही व्यक्ति का सांसारिक नाम बदल जाता है, जिसके तहत सराफा व्यापारी राकेश सुराणा अब श्री यशोवर्धनजी महाराज साहब के नाम से जाने जाएंगे, उनकी पत्नी लीना को संवररूचि मसा व पुत्र अमय को बाल साधु श्रीजिनवर्धन मसा के नाम से जाना जाएगा। अब ये परिवार तप, सयंम और त्याग के पथ पर चलते हुए हमेशा पैदल ही विहार करेगा।