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Bahraich Violence: गजब का संयोग: 41 साल पहले अक्टूबर महीने में ही बहराइच में भड़की थी हिंसा, 2 लोगों की मौत 19 घायल से हिल उठा था प्रदेश

Bahraich Violence: बहराइच जिले के महाराजगंज कस्बे में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुए बवाल के बाद रामगोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद पूरा जिला हिंसा की चपेट में जलने लगा था। परिस्थितियों बदली अमन चैन फिर से लौटा। लेकिन इसे संयोग ही कहे की आज से 41 वर्ष पहले अक्टूबर महीने में ही कुछ ऐसी घटनाएं हुई थी।

बहराइचOct 19, 2024 / 07:30 pm

Mahendra Tiwari

Bahraich Violence

बहराइच के हिंसा प्रभावित क्षेत्र में तैनात पुलिस फोर्स

Bahraich Violence: बहराइच जिले में दो समुदायों के बीच आज से 41 वर्ष पहले अक्टूबर महीने में ही दो समुदायों के बीच हुए खूनी संघर्ष में दो लोगों की मौत हो गई थी। 19 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। इसमें तीन पुलिस के जवान भी घायल हुए थे। यह वाकया 25 अक्टूबर 1983 का है।
Bahraich Violence: बहराइच जिले में जमीन के एक हिस्से को लेकर दो समुदायों के बीच काफी दिनों से बवाल चल रहा था। अक्टूबर 1983 में विवाद गहरा गया। एक पक्ष ने जमीन के एक हिस्से पर बनी मस्जिद का निर्माण करना शुरू कर दिया। जबकि दूसरे पक्ष का कोर्ट से स्थगन आदेश था। बात 25 अक्टूबर 1983 की वह काली सुबह जब इस विवाद को सुलझाने के लिए प्रशासन और पुलिस के अधिकारी ब्राह्मण पुरी मोहल्ले में गए थे। अधिकारी मौके पर पहुंचे ही थे। सुलह समझौता की बात भी नहीं शुरू हुई थी। इसी बीच एक व्यक्ति ने लोगों को भड़का दिया। पथराव शुरू हो गया। पुलिस ने किसी तरह अधिकारियों को बाहर निकाला। उस समय भी दो समुदायों के बीच हुए बवाल के बाद हिंसा की आग में बहराइच शहर जलने लगा। इस हिंसा की वजह से करीब 15 दिनों तक लोग घरों में कैद रहे।

भीड़ उग्र हो गई उपद्रवियों ने पुलिस टीम पर तमंचे से फायर कर दिया

उपद्रवियों ने पथराव और नारेबाजी के बीच किसी ने पुलिस टीम पर फायर कर दिया। जिसमें दो पुलिसकर्मी घायल हुए इसके बाद पुलिस की जवाबी कार्रवाई में दो लोगों की मौत हो गई। करीब 15 दिनों तक हिंसा की आग में बहराइच जलने लगा। उपद्रवी जगह-जगह पर तोड़फोड़ और आगजनी करने लगे। उस समय यह जिला फैजाबाद मंडल में आता था। फैजाबाद के तत्कालीन डीआईजी ने मोर्चा संभाला और कर्फ्यू लगा दिया गया। कर्फ्यू लगने के बाद धीरे-धीरे मामला शांत हुआ।

विवादित जमीन पर एक पक्ष ने मस्जिद तो दूसरे पक्ष में कुएं के पास शिवलिंग की स्थापना कर दी

बहराइच जिले में एक जमीन को लेकर दो पक्षों के बीच 1972 में विवाद का जन्म हो गया था। विवादित जमीन पर के एक हिस्से में बनी मस्जिद पर एक पक्ष ने निर्माण शुरू कर दिया। जबकि एक पक्ष ने न्यायालय से पूरे जमीन का स्थगन आदेश ले लिया था। स्थगन आदेश के बाद जब मस्जिद का निर्माण शुरू हो गया तो दूसरे पक्ष ने कुएं के पास शिवलिंग की स्थापना कर दी। प्रशासन ने विवाद बढ़ता देख धारा 45 के तहत इस जमीन को कुर्क कर दिया। इसके बाद भी विवाद नहीं रुका। अधिकारियों ने दोनों पक्षों को बुलाकर कई बार सुलह समझौते का प्रयास किया। लेकिन बात नहीं बनी।
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41 साल बाद 13 अक्टूबर को एक बार फिर हिंसा की आग में बहराइच जलने लगा

इसे संयोग ही कहें कि 41 साल पहले जब हिंसा की आग में बहराइच जलने लगा था। वह भी अक्टूबर का ही महीना था। इस बार 13 अक्टूबर रविवार के दिन महाराजगंज कस्बे में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान रामगोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद दूसरे दिन जब शव गांव पहुंचा तो सोमवार को भड़की हिंसा ने विकराल रूप ले लिया। कल तक जो लोग एक दूसरे के दुख सुख में शामिल होते थे। वह एक दूसरे के दुश्मन बन गए। गांव से हजारों की संख्या में लाठी डंडे लेकर युवक की मौत के बाद भड़के लोग तहसील मुख्यालय पर जमा हो गए। जगह-जगह आगजनी की घटना में करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। हालांकि अब बहराइच के हिंसा प्रभावित क्षेत्र में जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है। दुकान खुलने लगी हैं। मामला अब पूरी तरह से शांत है। लेकिन फोर्स सुरक्षा की दृष्टि से अभी तैनात है।

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