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चौमूं के स्वतंत्रता सेनानी राधागोपाल सुधाकर का निधन

प्रजामंडल के जरिए की थी शुरुआत स्कूल काल से ही जुड़ गए थे आजादी की लड़ाई में
 

बगरूDec 25, 2019 / 07:14 pm

Dinesh

चौमूं के स्वतंत्रता सेनानी राधागोपाल सुधाकर का निधन

चौमूं के स्वतंत्रता सेनानी राधागोपाल सुधाकर का निधन

चौमूं (जयपुर) प्रजामंडल के सदस्य के तौर पर देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले चौमूं के स्वतंत्रता सेनानी राधागोपाल सुधाकर का बुधवार सुबह निधन हो गया। इसकी खबर फैलते ही शहर समेत आसपास के क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई। बड़ी संख्या में लोग उनके निवास पर जमा हो गए। बाद में राजकीय सम्मान के साथ उनका मोरीजा रोड स्थिति श्मशानघाट में अन्तिम संस्कार किया गया। इसमें जिला कलक्टर जोगाराम, एसडीएम हिम्मत ङ्क्षसह, एडीसीपी बजरंग सिंह, एसीपी प्रियंका कुमावत, थानाधिकारी हेमराज सिंह गुर्जर व अन्य अधिकारियों समेत राजनीतिक दलों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता व जनप्रतिनिधि शामिल हुए।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका ने स्वतंत्रता दिवस समारोह से 1 दिन पहले 14 अगस्त २०१९ को स्वतंत्रता सेनानी सुधाकर जी का साक्षात्कार लिया था इसकी खबर भी 15 अगस्त 2019 को आजादी की लड़ाई में चोमू के सेनानियों ने भी बनवाया था अंग्रेजों से लोहा शीर्षक से प्रकाशित की थी साथ ही बगरू चौमूं फेसबुक लाइव पत्रिका में भी साक्षात्कार को लाइवकिया गया था। राधा गोपाल सुधाकर स्कूल शिक्षा के दौरान ही महात्मा गांधी के अंग्रेजों भारत छोड़ो जैसे आंदोलन आंदोलन से प्रेरित होकर देश के आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे वह प्रजामंडल से जुड़े और प्रजा मंडल में सक्रिय भूमिका निभाते हुए आजादी के लिए लोगों को प्रेरित किया गुपचुप तरीके से चौमू समिति जयपुर जिले और अन्य जिलों में जाकर रणनीति तैयार की ताकि आजादी के आंदोलनों को सफल बनाया जा सके कुछ एक बार तो स्कूल के दौरान ही चले जाने के कारण मास्टर जी की डांट खानी पड़ी। सुधाकर जी ने बताया था कि कई बार जेल भी जाना पड़ा लेकिन मन में आजादी दिलाने की इच्छा थी इसलिए कभी हार नहीं मानी और अंत भी सुखद हुआ आखिरकार अंग्रेजों को देश छोडऩा पड़ा और महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश को आजादी मिली वे मानते थे कि वर्तमान में लोग आजादी कैसे मिली इसके मायने भूलकर राष्ट्रवाद के बजाय व्यक्तिवाद को महत्व दे रहे हैं जिससे देश कमजोर हो रहा है उन्होंने देश को मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रीय वाद को बढ़ावा देने की पुरजोर पैरवी की थी

डेढ़ साल से थे अस्वस्थ


स्वतंत्रता सेनानी राधा गोपाल सुधाकर की भर्ती आई के कारण उनके याददाश्त कई सालों से कमजोर पड़ गई थी अस्वस्थता और बीमारियों के शरीर में जन्म लेने के कारण पिछले डेढ़ दो साल से ज्यादातर बिस्तर पर ही रहते थे कभी कबार सामाजिक समारोह में ले जाया जाता था खास बात यह है कि मरने के पहले तक सुधाकर जी ने हमेशा सर पर गांधी टोपी पहनी और खादी से बने कपड़ों को ही धारण रखा सुधाकर जी की पत्नी फूली देवी का देहांत करीब 1 साल पहले हो गया था। उनके 3 पुत्र और दो पुत्रियां थी लेकिन इनमें से एक पुत्री और एक पुत्र का देहांत हो चुका है सुधाकर जी अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ कर गए हैं।

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