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500 वर्षों से पूजी जा रही भगवान गणेश जी की देव कुलिकाएं

-किले में ही कुल 8 स्थानों पर स्थित है गणेश प्रतिमाएं-500 वर्ष पहले मराठा और होलकर काल की प्रतिमाएं आज भी है शोभायमान

बड़वानीSep 26, 2023 / 12:10 pm

harinath dwivedi

 Sendhwa Fort of Barwani District

Sendhwa Fort of Barwani District

BADWANI/सेंधवा.
गणेश चतुर्थी का पर्व चल रहा है। हर तरफ हर्ष और उल्लास का माहौल है। कोई भगवान गणेश की आराधना में लगा है, तो कहीं झांकियां के रूप में भगवान गणेश की भक्ति भावना की जा रही है। सबसे खास बात है कि वर्तमान समय में जिस तरह भगवान गणेश को महत्व दिया जाता रहा है। वैसा ही सैकड़ों वर्ष पहले से सेंधवा के ऐतिहासिक किले के निर्माण से लेकर रियासत के संचालन के दौरान गणेश पूजन का महत्व रहा है। मराठा काल के दौरान गणेश पूजन का विशेष महत्व इतिहासकार भी मानते है।
4 स्थानों पर दीवारों पर उकेरी गई है प्रतिमाएं
करीब 500 वर्ष पहले मराठा या होलकर स्टेट के समय में भगवान गणेश की प्रतिमाओं का महत्व आज भी किले की दीवारों पर साफ देखा जा सकता है। काले पत्थरों से निर्मित प्राचीन किले की उत्तर दिशा और पूर्व दिशा में भगवान गणेश की कुल 3 प्रतिमाओ को दीवारों पर उकेरा गया है। आज जहां फोर्ट गार्डन है। वहां दो स्थानों पर दीवारों पर वहीं किले के तीसरे गेट के ठीक ऊपर गणेश की प्रतिमा स्थित है। एक प्रतिमा राजराजेश्वर मंदिर तालाब की दीवार पर उकेरी गई है। सभी प्राचीन है। हालांकि किले का निर्माण परमार कल का बताया जाता है, लेकिन मुख्य रूप से इसके लिए व्यवस्थित निर्मित करने और सुधार करने का श्रेय मराठाओं के पक्ष में बताया गया है।
4 स्थानों पर प्राचीन प्रतिमाओं का हो रहा पूजन
किले की दीवारों पर उतर गई गणेश प्रतिमाओं के अतिरिक्त चार स्थानों पर भारी भरकम प्रतिमाओं का पूजन आज भी हो रहा है। मराठा काल में स्थापित किले के मुख्य द्वार पर गणेश मंदिर, पुराना बस स्टैंड चौराहे पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर परिसर और प्राचीन मंदिर, पोस्ट ऑफिस के सामने स्थित प्राचीन प्रतिमा का आज भी हजारों श्रद्धालु आज भी पूजन कर रहे है। किला गेट गणेश मंदिर और पुराना बस स्टैंड के प्राचीन मंदिरों में आज भी विशेष आयोजन हो रहे हैं। करीब 500 वर्ष पहले से चली आ रही परंपरा को आज भी श्रद्धालु आगे बढ़ा रहे हैं।
मराठा युद्ध में गणेश मंदिरों की करते थे रक्षा
पुरातत्व इतिहासकार और विशेषज्ञ डीपी पांडे ने बताया कि करीब 17वीं शताब्दी के बाद जब मराठाओं ने कई जगहों पर आक्रमण किया तो उनके द्वारा गणेश मंदिरों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाता था। मराठा साम्राज्य में गणेश पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। मराठाओं द्वारा मंदिरों में कई जगहों पर भगवान गणेश की प्रतिमाओं की स्थापना कर विशेष पूजन के उल्लेख मिलते है। शुभ कार्य के पहले सर्वप्रथम भगवान गणेश का पूजन मराठा काल में भी किया जाता था। उज्जैन इंदौर में हुए अनेक युद्धों के दौरान गणेश मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाना सबसे बड़ा उदाहरण है।
किले पर देव कुलिका के रूप में पूजे जाते थे गणेश
सेंधवा किले की दीवारों पर गणेश प्रतिमाएं देव कुलिका के रूप में पूजी जाती रही है। किले की दीवारों और परिसर में गणेश पूजन और स्थापना की शुरुआत मराठा कल से ही हुई है। सेंधवा के ऐतिहासिक किले पर मराठा शासकों ने कई वर्षों तक राज किया है होलकर स्टेट के दौरान भी यह परंपरा जारी रही। इसलिए इस किले में भगवान गणेश को विशेष रूप से प्रतिमाओं के रूप में स्थापित किया गया इसके प्रमाण वर्तमान समय में भी साफ देखे जा सकते हैं।
किले में मौजूद है कई प्राचीन प्रतिमाएं
सेंधवा किले का इतिहास बेहद गौरव में है। काले पत्थरों से निर्मित बेहद मजबूत किला हमेशा से सैनिक छावनी और अन्य कर्म से विभिन्न साम्राज्यों के दौरान विशेष रूप से उपयोग होता था। आज भी जिला परिसर और किले के बाहर कई प्राचीन प्रतिमाएं बिखरी पड़ी है। राजराजेश्वर मंदिर गुप्तेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना, तालाब और बावड़ी का निर्माण, देवझिरी में मराठा काल की बावड़ी व कई कमरे आदि का निर्माण मराठा या होलकर काल के दौरान ही किया गया था।

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