आजमगढ़. गर्मी अपने चरम पर है। 45 से 47 डिग्री टेम्परेचर में लोगों के लिए घर से बाहर निकला मुश्किल है लेकिन यहां के लोग पानी के लिए लाइन लगाने को मजबूर हैं। जल स्तर नीचे खिसकने से हैंडपंप और ट्यूबवेल का पानी कम हो गया है। देशी हैंडपंप तो पानी ही छोड़ दिये हैं। तालाब पोखरों पर या तो अवैध कब्जे हैं जो खाली हैं उनमें पानी नहीं है। पशु पक्षी भी पानी के लिए तरस रहे हैं। हैंडपंपों की मरम्मत और तालाब पोखरों को भरने का काम सिर्फ कागज पर चल रहा है।
बता दें कि जिले में दस छोटी नदियां हैं। इनमें छोटी सरयू, गांगी, बेसो, उदन्ती, मझुई (मंजूषा), कुंवर, सिलनी, भैंसही, मंगई, लोनी आदि शामिल हैं। इसके अलावा तमसा और घाघरा बड़ी नदियां है। तमसा नदी बाराबंकी जिले के रुदौली तहसील की एक झील से निकलकर अम्बेडकर नगर होते हुए आजमगढ़ में प्रवेश करती है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए बलिया में गंगा में मिलती है। इसकी लम्बाई 89 किमी है। नदी का डिस्चार्ज 224. 64 क्यूसेक है। इसी तरह घाघरा नदी जिले में लगभग 41 किलोमीटर में बहती है। छोटी नदियों की बात करें तो कुंवर, सिलनी, मंजूषा के तमसा के संगम स्थलों पर ऋषियों की तपस्थली है इसलिए यह नदियां भी पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। कुंवर नदी निजामाबाद, छोटी सरयू महराजगंज नगर पंचायत से होकर गुजरी हैं जबकि शेष नदियां ग्रामीण क्षेत्रों से होकर गुजरती हैं। इसमें मंजूषा सुल्तानपुर जिले से निकलकर अहरौला के शमसाबाद होते हुए दुर्वासा में तमसा में मिलती है।
कुंवर नदी सुल्तानपुर जिले के ही दोस्तपुर के पास से निकलकर खानजहापुर, पलिया, फूलपुर होते हुए निजामाबाद पहुंचकर तमसा में मिल जाती है। गांगी नदी जिवली गोड़हरा के पास जिले में प्रवेश करती है और सिधौना, मेहनाजपुर होते हुए लगभग 40 किमी की दूरी तय कर गाजीपुर की सीमा में प्रवेश करती है। बेसो नदी जिले के मार्टीनगंज ब्लाक के एक ताल से निकलकर लगभग 60 किमी की दूरी तय कर गाजीपुर में प्रवेश करती है। उदन्ती नदी लालगंज ब्लाक के एक तालाब से निकलकर मेहनाजपुर तरवां होते हुए लगभग 30 किमी की दूरी तय कर गाजीपुर की सीमा में प्रवेश करती है। बघाड़ी नदी निजामाबाद के गन्धुवई बढय़ा ताल से निकलकर लगभग तीन किमी बाद कुंवर नदी में मिल जाती है। मंगई नदी जौनपुर जिले के खेतासराय के पास से जनपद की सीमा में प्रवेश करती है और कवरा गहनी, छित्तेपुर, नोनारी, छाऊं, मुहम्मदपुर होते हुए गाजीपुर की सीमा में प्रवेश करती है।
IMAGE CREDIT: Patrika इसी प्रकार लोनी व भैंसही नदी भी जिले से निकलकर गाजीपुर की सीमा में प्रवेश करती है। एक घाघरा को छोड़ दें तो अन्य सभी नदियों की हालत बद से बदतर है। तमसा में औद्योगिक अपशिष्ट के साथ जहां नाला बहाया जा रहा है वहीं कुंवर, मंजुसा का उपयोग भी गटर के रूप में हो रहा है। अन्य नदियां तो सफाई के अभाव में नाला बन गई है।
तमसा, मंजुसा, कुंवर और घाघरा को छोड़ दे तो ज्यादातर नदियां बेपानी हो गयी हैं। नदियों की सफाई के लिये प्रशासन के पास भी कोई कार्य योजना नहीं है। नदियों को प्रदूषित करने वालों के विरुद्ध भी कोई कार्रवाई नही हो रही है। सबसे अहम बात है कि तमसा का पानी भी तलहटी में पहुंच गया है। ऐसी परिस्थिति में जून अंत तक इस नदी के सूखने का खतरा बढ़ गया है। यदि नदियां बेपानी हुई तो पशु पक्षियों के लिये भी जल संकट और बढ़ जाएगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब पोखरों की हालत बद से बदतर है। 80 प्रतिशत से अधिक तालाब पोखरों में पानी नहीं है। हर साल गर्मी में नहर में पानी छोड़कर तालाब पोखरों को भरा जता था लेकिन इस बार चुनाव का बहाना था। परिणाम रहा कि अब तक न तो तालाब पोखरे भरे गए और ना ही बाढ़ की तैयारी भी शुरू नहीं हो पायी। गांवों में तमाम तालाबों पर अवैध कब्जे हैं तो कई स्थानों पर हैंडपंप खराब पड़े हैं लेकिन उनकी मरम्मत तक नहीं करायी जा रही है।
BY- Ranvijay Singh
Hindi News / Azamgarh / गर्मी आते ही गहराया पेयजल पर संकट, सूखी नदियां, हैंडपंप भी देने लगे हैं झटके