आजमगढ़. मुलायम के अध्यक्ष पद से हटने के बाद सपा में अलग थलग पड़े एमएलसी यशंवत सिंह ने शनिवार को समाजवादी पार्टी से किनारा कर लिया। यशवंत का कहना है कि एमएलसी पद उन्होंने सीएम योगी के लिए खाली किया है। वे चाहते है कि सीएम योगी उन्हीं की सीट से विधान परिषद पहुंचे। इसे भी पढ़ें सपा एमएलसी यशवंत सिंह की बगावत के पीछे कहीं ये व्यक्ति तो नहीं! बता दें कि शिक्षा पूरी करने के यशवंत सिंह पूर्व प्रधनमंत्री चंद्रशेखर के सानिध्य में चले गये। 1975 में इमरजेंसी के दौरान वे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव काफी करीब पहुंच गये। इस दौरान उन्हें 18 माह के लिए जेल जाना पड़ा । जेल से निकलने के बाद राजनीतिक रूप से परिपक्व हो चुके यशवंत सिंह पहली बार जनता पार्टी से 1984 में मुबारकपुर से चुनाव लड़े, लेकिन 250 वोटों से हार गए। इसके बाद 1989 में मुबारकपुर से विधानसभा से ही जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत गए। इसके बाद वर्ष 1991 में वे समाजवादी जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लडे लेकिन हार गए। वर्ष 1993 में इन्हें किसी दल ने टिकट नहीं दिया। इसके बाद यशवंत सिंह निर्दल मैदान में उतरे लेकिन इन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसे भी पढ़ेंशिव प्रतिमा तोड़ने के बाद आरोपी ने लिया आमिर खान की फिल्म PK का नाम, भगवान को इसलिये मानता था दुश्मन योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो) वर्ष 1996 में यशवंत ने बसपा का दामन थाम लिया। प्रदेश में बसपा और भाजपा की गठबंधन सरकार बनी तो इन्हें मंत्री बनाया गया। समझौते के अनुसार छह माह बाद बीजेपी का सीएम होना था लेकिन मायवती नहीं मानी और गठबंधन टूट गया। उस समय यशवंत सिंह ने बसपा के तीन दर्जन से अधिक विधायकों को तोड़कर जनतांत्रिक बसपा का गठन किया और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई। इसे भी पढ़ेंशिक्षा मित्रों के आंदोलन से निपटने के लिये उतरी भारी फोर्स, हाइवे पर तैनाती भाजपा सरकार में भी वे आबकारी मंत्री रहे। इसी बीच वर्ष 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के सिंबल पर यशंवत सिंह सदर लोकसभा से चुनाव लड़े लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद फिर उन्हेंने सपा का दामन थाम लिया। यशवंत सिंह को मुलायम सिंह का काफी करीबी माना जाता है। इसकी बानगी भी देखने को मिली थी। वर्ष 2004 में मुलायम सिंह यादव ने पहली बार यशवंत सिंह को एमएलसी बनाया था। इसके बाद उन्हें फिर 2010 और 2016 में एमएलसी बनाया गया। अभी यशवंत सिंह का कार्यकाल 2022 तक था। यशवंत सिंह पिछले कुछ वर्षो से सपा के अलग थलग पड़ गये थे। मुलायम सिंह से उनके संबंध काफी अच्छे थे लेकिन जिले के कद्दावर मंत्री बलराम यादव और कुछ अन्य यादव नेताओं से उनका छत्तीस का आंकड़ा था। इसे भी पढ़ेंशिक्षा मित्रों के आंदोलन से निपटने के लिये उतरी भारी फोर्स, हाइवे पर तैनाती मुलायम सिंह को अध्यक्ष पद से हटाये जाने के बाद यशवंत सिंह और भी अलग थलग पड़ गये थे। ठाकुर लाबी में उनकी स्थित काफी मजबूत थी लेकिन यादव लाबी उन्हें पसंद नहीं करती थी। अब योगी के सत्ता में आने के बाद यशवंत एक बार फिर भाजपा में शामिल हो गये है। यशवंत के मुताबिक उन्होंने अपनी सीट सीएम योगी के लिए खाली की है। वे चाहते है कि उन्हीं की सीट से वे विधान परिषद पहुंचे। इसे भी पढ़ेंलालू यादव को पगला बाबा ने दिया था अभिशाप, “तू मिट्टी में मिल जाएगा”, जानिये और क्या कहा था