इसके पीछे वजह भी है। 86 सदस्यों वाली जिला पंचायत में प्रमोद यादव का दावा है कि 46 उनके साथ हैं। इस संबध में उन्होंने शपथ पत्र भी दिया है। वहीं सपा दावा कर रही है कि उसकी कुर्सी को कोई खतरा नहीं है। पर जो हालात दिख रहे है उसमें सपा की कुर्सी साफ खिसकती दिख रही है। कारण कि रमाकांत यादव अंदर ही अंदर मीरा यादव के ससुर से बदला लेने के साथ ही सपा नेतृत्व को भी जवाब देना चाहते है। आने वाले समय में उन्हें सपा के खिलाफ लोकसभा चुनाव भी लड़ना है। अगर प्रमोद रमाकांत के पाले में आते है तो 2019 में रमाकांत की राह आसान हो जाएगी। अविश्वास प्रस्ताव में भाजपा के पास करने के लिए कुछ नहीं है। कारण कि पार्टी के पास मात्र आधा दर्जन सदस्य है।
रहा सवाल रमाकांत यादव का तो 24 सदस्य इनके करीबी माने जाते है। वे जिसके साथ जायेगे जीत उसी की होगी। लोक सभा चुनाव में अपनी स्थित मजबूत करने के लिए रमाकांत का प्रमोद के साथ जाना खुला विकल्प माना जा रहा है। इससे वे सदर विधानसभा में मजबूत होंगे तो सपा से उनका बदला भी पूरा हो जाएगा। कारण कि सपा सरकार के रहते हवलदार यादव ने ठेकेदारी में रमाकांत का खुलकर विरोध किया था। जिसकी कसक आज भी रमाकांत यादव के दिल में है।
रमाकांत अगर प्रमोद के साथ जाते हैं तो
अखिलेश यादव के लिए बड़ा झटका होगा। कारण कि गुटबाजी के चलते आजमगढ़ में सपा बेजार है। यह भी माना जा रहा है कि इस बार लोकसभा चुनाव मुलायम सिंह यहां से नहीं लड़ेगे। ऐसे में लगातार हार और गुटबाजी पार्टी के लिए भारी पड़ सकती है।