बता देें कि जमाली को बसपा मुखिया मायावती का बेहद करीबी माना जाता था। जमाली मायावती के भाई आनंद के बिजनेस पार्टनर भी हैं। पंचायत चुनाव के बाद मायावती ने जमाली को विधानमंडल का नेता भी बना दिया था। पिछले दिनों जमाली ने बसपा छोड़ दिया। जमाली के बसपा छोड़ने के बाद मायावती ने दुष्कर्म के मुकदमें में सरकार से पैरबी न करने के कारण जमाली पर पार्टी छोड़ने का आरोप लगाया था।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद जमाली ने अखिलेश से कई बार मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने बतौर सपा प्रत्याशी प्रचार भी शुरू कर दिया लेकिन हाल में सपा ने इस सीट से अखिलेश यादव को मैदान में उतार दिया। इसके बाद जमाली समर्थक सपा के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान छेड़ दिया था। जमाली समर्थक सपा मुखिया पर धोखा देने का आरोप लगा रहे थे।
चर्चा थी कि जमाली निर्दल अथवा कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतर सकते हैं। इसी बीच गुड्डू जमाली ने सोमवार को कलेक्ट्रेट पहंुचकर निर्दल नामांकन दाखिल कर दिया था। जमाली के नामाकंन के कुछ घंटों बाद ही हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने जमाली को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। जमाली के एआईएमआईएम से मैदान में आने के बाद अब मुबारकपुर का समीकरण पूरी तरह से बदला दिख रहा है।
कारण कि इस सीट से जमाली वर्ष 2012 व 2017 में लगातार विधायक चुने जा चुके हैं और सीट भी मुस्लिम बाहुल्य है। जामाली की मुस्लिम और दलित के साथ ही अन्य मतदाताओं में भी पैठ है। बसपा ने भी यहां से मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारा है। वहीं सपा से यादव मैदान है। बीजेपी ने अति पिछड़ी जाति के अरविंद जायसवाल पर दाव लगाया है। ऐसे में मतों का बिखराव तय है।