बता दें कि जौनपुर के पूर्व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट हिमांशु नागपाल ने 4 जून को छापेमारी की थी। उस समय सिद्दीकपुर स्थित एक मेडिकल स्टोर व निजी गोदाम से 12 लाख रुपए की सरकारी दवा पकड़ी गई थी। इन दवाइयों के पैकेट पर नॉट फॉर सेल लिखा हुआ था। ज्यादातर दवाई जुलाई के महीने में एक्सपायर होने वाली थीं। इस मामलेे में उन्होंने रायख्वाजा थाने में धारा 419, 420 और 120 बी के तहत मुकदमा पंजीकृत कराया था। जांच के दौरान जिला चिकित्सालय में कार्यरत कक्ष संख्या 21 के मुख्य फार्मासिस्ट संजय सिंह, ओपीडी काउंटर के मुख्य फार्मासिस्ट वीरेंद्र मौर्य और काउंटर संख्या 20 के मुख्य फार्मासिस्ट अखिलेश उपाध्याय का नाम सरकारी दवा की कालाबाजारी में सामने आया थो। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट द्वारा स्पष्ट किया गया था कि कॉल डिटेल रिकॉर्ड और जांच में तीनों की भूमिका स्पष्ट हो गई है।
उन्होंने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी थी। रिपोर्ट में जांच अधिकारी ने तीन फार्मासिस्ट के निलंबन की संस्तुति करते हुए जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाया था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सीएमएस ने अपने दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरती।
अवैध ढंग से आरएम मेडिकल स्टोर संचालक को सरकारी दवाओं की आपूर्ति की गई। वह दवाओं को ग्रामीण क्षेत्र की दुकानों और झोलाछाप डाक्टरों को बेचता है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सीएम बृजेश पाठक ने मंगलवार को आरोपी तीनों फार्मासिस्ट और सीएमएस के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इसके बाद तीनों फार्मासिस्ट को निलंबितकर दिया गया। इस कार्रवाई से हड़कंप मचा हुआ है।