इस स्थान की महत्ता इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि दक्षिण एशिया में दो ही दक्षिण मुखी देवी दुर्गा का मन्दिर है। दूसरी खास बात यह कि पुजारी के परिवार में परिस्थितियां कोई भी हों लेकिन कभी भी मां का श्रृंगार व पूजन नहीं रुका।
हम बात कर रहे हैं नगर के मुख्य चौक पर स्थित दक्षिण मुखी देवी दुर्गा के मंदिर की जहां बारहों महीने श्रद्धालुओं का शीश झुकता है। दक्षिण एशिया में मात्र दो दक्षिण मुखी देवी का मंदिर होने से इसकी महत्ता और बढ़ जाती है। प्रतिदिन मां का श्रृंगार होता है और दिन भर पूजन-अर्चन का सिलसिला चलता रहता है। मन्नत पूरी होने पर भक्त भी का श्रृंगार कराते हैं।
कहा जाता है कि वर्तमान समय में जहां शहर का मुख्य चौक है, वहां पांच सौ वर्ष पूर्व जंगल और झाडिय़ां हुआ करती थीं। थोड़ी ही दूरी पर तमसा नदी बहती थी।
देवी जी के मंदिर के बारे में बहुत अधिक जानकारी तो किसी को नहीं है लेकिन प्रचलित बातों और मंदिर के संस्थापक के परिवार के लोगों के अनुसार पांच सौ वर्ष पूर्व जब मंदिर के स्थान पर मात्र जंगल था और तमसा नदी करीब से बहती थी तो यहां बालू का टीला हुआ करता था।
निजामाबाद के शाहपुर गांव निवासी भैरो जी तिवारी ने उक्त स्थान पर तप किया था।
मान्यता है कि मां के दरबार से कभी कोई खाली नहीं लौटता। कोई भी महीना हो, यहां हमेशा श्रद्धालुओं का पहुंचना जारी रहता है। मंदिर के पुजारी का परिवार प्रतिदिन दक्षिण मुखी माता का श्रृंगार करता है और इसके बाद मंदिर पूजन-अर्चन के लिए खोल दिया जाता है।
नगर के लोगों के लिए यहां स्थापित देवी के प्रति श्रद्धा और विश्वास का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नवरात्र में लोग मां विन्ध्वासिनी के दर्शन के लिए जाने से पूर्व मां दक्षिण मुखी का दर्शन जरूर करते हैं। कुल मिलाकर इस स्थान की ख्याति भले ही बहुत दूर तक न हो लेकिन यहां के लोगों के लिए यह किसी सिद्ध पीठ से कम कतई नहीं है।
मां के प्रति विशेष श्रद्धा रखने वाले और ज्यादातर समय मंदिर मेें गुजारने वाले पुजारी व भक्त बताते हैं कि सुबह सात बजे से नौ बजे तक मां की प्रतिमा हंसती हुई प्रतीत होती है, चेहरे पर मुस्कान का भाव प्रतीत होता है। उसके बाद 10 बजे तक मां के चेहरे का भाव सामान्य होता है। इसके बाद साढ़े बारह बजे तक चेहरे पर थकान का भाव नजर आता है। दोपहर एक बजे के बाद मां के चेहरे पर गुस्सा का भाव दिखता है। शाम पांच बजे तक भाव भंगिमा ऐसी रहती है कि कोई चाहकर भी प्रतिमा पर आंखें नहीं टिका पाता। शाम साढ़े छह बजे के बाद फिर चेहरे पर मुस्कान का भाव आ जाता है और सात-आठ बजे के बाद थकान का भाव झलकने लगता है।
आजमगढ़: दक्षिण मुखी दुर्गा मां के मंदिर में पांच वर्ष पूर्व चोरी हुई थी। चोरों ने मां की छतरी व श्रृंगार का सामान चोरी कर लिया था लेकिन वह इसे हजम नहीं कर सके। घटना के 21 दिन के भीतर ऐसी परिस्थितियां बनीं कि चोर पुलिस के हत्थे चढ़ गये। इस घटना के बाद से कोई भी मंदिर की तरफ नजर टेढ़ी करने की हिम्मत भी नहीं जुटा सका।