बता दें कि तहबरपुर ब्लाक के किशुनदासपुर से सटे लेडूवा गांव निवासी मृत्युन्जय मौर्य 2017 में कांग्रेस से जुड़े थे। जनता के बीच उनकी पैठ और प्रतिभा को देख पार्टी ने उन्हें पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी थी। प्रदेश अध्यक्ष को भेजे गये पत्र में उन्होंने कहा था कि कांग्रेस पार्टी केवल आमजनता को भ्रम में रखती है जबकि वास्तव में कांग्रेस का पिछड़ा और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति से कोई सरोकार नहीं रह गया है। ऐसे दिशाहीन पार्टी से मेरा अब कोई लेना देना नहीं है।
कांग्रेस पार्टी आज अपनी मूल विचाराधारा से बिल्कुल विपरीत दिशा में चल रही है। उन्हें कांग्रेस में रहकर पिछड़े, दबे कुचलों की उपेक्षा के कारण घुटन महसूस हो रही थी। पिछड़े और दलित वर्ग के सम्मान के लिए उन्होंने कांग्रेस राजनैतिक संबंध तोड़ने का निर्णय लिया है।
श्री मौर्य ने बताया कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी को छोड़ा है, लेकिन पिछड़ों, दलितों के उत्थान के लिए अपना प्रयास आगे भी जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि राजनीति में उन्हें किसी पद की कोई लालसा नहीं है बल्कि सामाज के पिछड़ों और दबे लोगों का उत्थान के लिए राजनीति में आये थे, जिसकी पूर्ति कांग्रेस के बैनर तले अब असम्भव हो चुकी है। वहां वर्ग विशेष का कब्जा है, जो कांग्रेस के लिए खुद ही विस्फोटक साबित होने वाला है।
BY Ran vijay singh