वैसे यह आदेश नया नहीं है अखिलेश सरकार ने भी अधिकारियों को यह निर्देश दिया था लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ था। भाजपा के यूपी के सत्ता में आने के बाद इसपर नए सिरे से काम शुरू हुआ और तीन माह पूर्व सरकार ने दोबारा ब्लाक और तहसील के अधिकारियों को अपने मुख्यालय पर प्रवास आदेश जारी किया लेकिन अफसरों ने इसे औपचारिकता समझ संज्ञान में नहीं लिया। आम आदमी ने अधिकारियों के न मिलने की शिकायत की तो सरकार ने इसे आदेश की अनदेखी के रूप में लिया और अब एक बार फिर मुख्यमंत्री कार्यालय ने पुनः अफसरों को सख्त आदेश दिया है कि तत्काल ऐसे लोगों की रिपोर्ट दी जाए ताकि कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
मुख्यमंत्री कार्यालय से आदेश आते ही हड़कंप मचा है। आला अफसर कार्यालय में बैठकर ब्लाक व तहसील के लिए आदेश जारी कर रहे हैं। अब ऐसे लोगों की खोजबीन के लिए फाइल दौड़ने लगी है। यह अलग बात है कि इसको हकीकत में कितना जमीन पर उतारा जाता है या हवा हवाई कागजी घोड़ा दौड़ा कर इतिश्री कर लिया जाएगा।
बहरहाल, मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी आदेश में कहा गया है कि ऐसी शिकायत प्रायः मिल रही है कि ब्लाक व तहसील पर तैनात अधिकारी समय से नहीं आते हैं। वह मुख्यालय पर नहीं रहते बल्कि शहर में निवास करते हैं। जिसकी वजह से आने जाने में उन्हें विलंब होता है। समय से जरूरतमंदों से मुलाकात न होने के कारण खासा परेशानी होती है। इसमें खासकर एसडीएम, पुलिस क्षेत्राधिकारी, तहसीलदार, खंड विकास अधिकारी, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात चिकित्साधिकारी आदि शामिल हैं। सीएम कार्यालय ने सख्त निर्देश दिया है कि ऐसे सभी अधिकारियों को तैनाती स्थल पर ही प्रवास सुनिश्चित कराया जाए। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो कार्रवाई की जाए।
सीएम के इस आदेश से आम आदमी खुश है। लोगों का मानना है कि अगर अधिकारी और चिकित्सक अपने तैनाती वाले स्थान पर प्रवास करेंगे तो उनकी समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी। अधिकारियों की तलाश में भटकना नहीं होगा। कारण कि आज सरकार के आदेशों की अह्वेलना अधिकारी कर रहे हैं। न कार्यालय में समय से बैठते हैं न ही शिकायतों का निस्तारण ही गंभीरता से करते हैं। शिकायतकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। नकल देने के नाम पर पैसे की मांग की जा रही है। पंचायत की खुली बैठक तक के आदेश को हवा में उड़ा दिया जा रहा है।