14 मई 1984 को पानीपत, हरियाणा के एक सुशिक्षित व संपन्न परिवार में नवनीत का जन्म हुआ। पिता सत्यपाल सिंह चहल नैशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड ,पानीपत इकाई में अधिकारी और माता परवीन चहल गर्वनमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल , पानीपत में इतिहास की लेक्चरर थी। शिक्षा के प्रति समर्पण और उच्च संस्कार उन्हें परिवार से ही मिला । उन्होंने 12वीं में टॉप किया और पीईसी चंडीगढ़ से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। फिर एमडीआई, गुरुग्राम से फाइनेंस और मार्केटिग में एमबीए करने के बाद पेरिस से फाइनेंस मैनेजमेंट की डिग्री भी हासिल की। अमेरिका से चार्टर फाइनेंसियल एनालिस्ट (सीएफए लेवल2) की परीक्षा उत्तीर्ण की व फाइनेंसियल एनालिस्ट के पद पर तीन साल तक न्यूयॉर्क/मुम्बई में कार्यरत रहे, परन्तु दिल में देश के लिए कुछ करने की इच्छा लगातार बनी रही। उन्होंने वापस लौटने का मन बना लिया और वर्ष 2011 में यूपीएससी की परिक्षा पास की। बतौर आईएएस उन्हें यूपी कैडर मिला।
नवनीत सिंह चहल की पहली पोस्टिंग बहराइच जिले में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के तौर पर हुई। वहाँ से मेरठ में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट और फिर मेरठ में ही चीफ डेवल्पमेंट ऑफिसर बनाये गये। इस दौरान उन्होंने वहां कई तरह के विकास कार्यों जैसे आवास व पेंशन योजनाएं, शौचालयों का निर्माण, सोलर लाइट्स की व्यवस्था आदि पर गंभीरता से कार्य किया, जिसका लाभ गरीबों और जरूरतमंद लोगो को मिला। नवनीत सिंह चहल झांसी में भी मुख्य विकास अधिकारी के पद पर रहे। इस दौरान उन्होंने गांवों में सरकारी योजनाओं को तेजी से लागू करवाया और किसानों का रजिस्ट्रेशन करवा सरकार की योजनाओं से जोड़ा।
2017 में वे अमरोहा के जिलाधिकारी बनाये गये। अमरोहा में उन्होंने खाद्यान वितरण में धोखाधड़ी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। जिले को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए वृक्षारोपण पर जोर देने के साथ ही पेड़ों की अवैध कटाई पर लगाम लगायी। खुले में शौच के विरूद्ध जनजागरण के लिए ‘तिगरी मेला’ के आयोजन के दौरान 30 हजार से अधिक स्टूडेंट्स का ह्यूमन चेन बनवा रिकॉर्ड कायम किया।
मार्च 2018 में नवनीत सिंह चहल को चंदौली जिले का जिलाधिकारी बनाया गया। जिले की कमान संभालने के साथ ही उन्होंने ‘ब्लैक राइस’ के जरिये जिले को नयी पहचान दिलायी। ‘ब्लैक राइस’ एंटी-ऑक्सीडेंट युक्त है और इसके उत्पादन से वहाँ के किसानों की आमदनी में काफी इजाफा हुआ है। उन्होंने चंदौली में बेसिक और माध्यमिक शिक्षा में सुधार के लिए ‘शिक्षित एवं सुपोषित चंदौली’ योजना की शुरुआत की, जिसके तहत जिले में वालंटियर टीचर के कांसेप्ट को आगे बढ़ाया, जो काफी सफल साबित हुआ। उन्होंने सामाजिक सहभागिता से लोगों को कुपोषित बच्चों को गोद लेने को प्रेरित किया जिसका बहुत ही शानदार परिणाम सामने आया।
व्यवहार कुशल नवनीत सिंह चहल के नेतृत्व में चंदौली ने हेल्थ, पोषण, रोजगार और मनरेगा के क्षेत्र में अहम प्रगति की जिससे इस जिले ने नीति आयोग द्वारा जिलों की होने वाली रैंकिग में बेहतरीन प्रदर्शन किया। इन रैंकिंग के कारण केंद्र सरकार से जिले के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये का इनाम भी मिला। चंदौली को लंबे समय तक कोरोना मुक्त जिला बनाये रखने के लिए नवनीत सिंह चहल की जमकर तारीफ हो रही है।
फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गए सर्वे में चंदौली के जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ‘व्यवहार कुशल‘ श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।