बता दें कि आजमगढ़ में ब्लाक प्रमुख की कुर्सी पर हमेशा से सपा व बसपा का वर्चश्व रहा है। वर्ष 2005 में जब पंचायत का चुनाव हुआ था उस समय बाहुबली रमाकांत यादव भाजपा में थे। बाहुबली के सहयोग से बीजेपी पहली बार 22 में से चार सीटों पर कब्जा जमाने में सफल हुई थी लेकिन वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर बाहुबली रमाकांत यादव की सपा में वापसी हुई है। रमाकांत की जिले के पश्चिमी और दक्षिणी इलाके में गहरी पैठ है। वहीं पूर्वी क्षेत्र में बाहुबली दुर्गा प्रसाद यादव का वर्चश्व है। पिछले चुनाव में उन्हें अपने ही भतीजे प्रमोद यादव से सीधी चुनौती मिली थी लेकिन इस बार चाचा और भतीजे में सत्ता को लेकर सुलह हो गयी है।
दोनों ही बाहुबली आधा दर्जन सीटों पर नजर गड़ाए हुए हैं। फूलपुर ब्लाक में रमाकांत यादव के भाई की बहू निवर्तमान ब्लाक प्रमुख है। इस सीट पर रमाकांत यादव फिर उन्हीं को बैठाना चाहते है। वहीं अहरौला सीट रमाकांत यादव के पुत्र भाजपा विधायक अरुणकांत यादव ने आविश्वास प्रस्ताव के जरिये सपा से छीनी थी। अब रमाकांत यादव इस सीट पर भी अपने खास को बैठाना चाहते है। इसके अलावा पवई और तहबरपुर सीट पर हमेशा से रमाकांत यादव का वर्चश्व रहा है। यहां रमाकांत यादव इस चुनाव में भी अपना वर्चश्व कायम रखना चाहते है।
सबसे खास सीट है मार्टीनगंज जिस पर सभी की नजर है। यहां रमाकांत और बाहुबली भूपेंद्र सिंह मुन्ना में हमेशा से वर्चश्व की लड़ाई रही है। इस बार भी भूपेंद्र सिंह मुन्ना वर्ष 2005 की तरह अपने आदमी को कुर्सी पर बैठाना चाहते है लेकिन इस बार रमाकांत की तैयारी मुन्ना सिंह से काफी आगे है। मुन्ना को अभी मजबूत प्रत्याशी की तलाश है जबकि रमाकांत यादव ने डेमरी मखदूमपुर से निर्विरोध क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्वाचित सर्वेश जायसवाल सोनू के सिर पर हाथ रख दिया है। रहा सवाल दुर्गा यादव का तो पल्हनी सीट पर वे अपने भतीजे को बैठाना चाहते है। जबकि जहानागंज, महराजगंज, हरैया सीट पर भी उनकी नजर है। निजामाबाद तहसील क्षेत्र में आने वाली सीटों पर सीधी नजर जेल में बंद बाहुबली अंगद यादव की है। यहां वे अपने करीबियों को सत्ता पर काबिज कर अपना खोया हुआ वर्चश्व हासिल करने की कोशिश करेंगे। बाहुबलियों के सीधे हस्तक्षेप से चुनाव दिलचस्प हो गया है।
BY Ran vijay singh