बता दें कि अब तक आजमगढ़ में इस तरह की व्यवस्था नहीं थी। लोग आवेदन करते थे और कुछ औपचारिकताओं को पूरी करने के बाद लाइसेंस जारी कर दिया जाता था। अब दिसंबर माह से आटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक पर टेस्ट देने के बाद ही लाइसेंस जारी होगा। यानि की हर हाल में परीक्षा पास करनी होगी। परीक्षा में फेल हुए तो लाइसेंस नहीं बनेगा बल्कि दोबारा परीक्षा देनी होगी।
एआरटीओ सत्येंद्र कुमार यादव ने बताया कि आटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक गंभीरवन में 7.36 करोड़ की लागत से बन रहा है। इसका 68 फीसद काम पूरा हो गया है। परिवहन विभाग की तरफ से गंभीरवन में ट्रैक का निर्माण यूपी स्टेट कांस्ट्रक्शन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट कारपोरेशन करा रहा है। ट्रैक के पास कंट्रोल रूम होगा, जो परीक्षा दे रहे वाहन चालक पर नजर रखेगा। इतना ही नहीं यह पूरी तरह से आनलाइन होगा। यानी एक क्लिक पर वाहन चालक की सारी गलतियां भी पता चल जाएंगी।
वाहन गलत तरीके से चलाने पर लाल व हरी बत्ती फेल व पास का इशारा कर देगी। ट्रैक पर यदि चालक सही तरीके से वाहन चलाता है और यातायात नियमों की जानकारी रखने में पास हो जाता है, तो ही उसे लाइसेंस जारी किया जाएगा। ट्रैक पर एचडी गुणवत्ता के सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। जांच के लिए ट्रैक पर स्पीड ब्रेकर, स्लोप, जेबरा लाइन, ट्रैफिक लाइट भी होंगी। इनकी निगरानी के लिए यहां सेंसर लगाए जाएंगे। इसमें पास या फेल हो जाता है तो इसके लिए उसे वीडियो रिकार्डिंग दिखाने के साथ उसकी सीडी भी सौंपी जाएगी। इससे उसे यह पता चलेगा कि उसने कहां पर कौन सी गलती की थी।