अडानी का कई देशों में कोयले का ठेका
राजेश ने आरोप लगाया कि भारत में कोयले की कोई कमी नहीं है। यह सरकार भी जानती है लेकिन अडानी से आस्ट्रेलिया सहित कई देशों में कोयले का टेंडर ले रखा है। उनका कोयला बिक नहीं रहा। अब सरकार ने उनका कोयला बेचवाने का जिम्मा ले लिया है।
बिजली कंपनियों के किया जा रहा मजबूर
आरोप लगाया कि सरकार बिजली कंपनियों को मजबूर कर रही है कि आस्ट्रेलिया से कोयला खरीदो। ताकि अडानी को लाभ मिले। जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार है वहां के मुख्यमंत्री ऐसा कर भी रहे हैं।
जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार नहीं है वहां के मुख्यमंत्री इसका विरोध कर रहे हैं। इसके बाद भी सरकार अपने रूख पर कायम है। बिजली कंपनियां सरकार की सुनने को मजबूर हैं। कंपनियां महंगा कोयला खरीदेंगी तो बिजली दर बढ़ाने की मांग करेंगे ही।
अडानी का कोयला दस गुना महंगा
राजेश यादव ने आरोप लगाया कि आस्ट्रेलिया का कोयला अगर 30 हजार रुपए टन मिल रहा है तो भारत में एक टन कोयले की कीमत तीन हजार है। यानि की दस गुना महंगा। आखिर भारत का कोयला कंपनियों को क्यों नहीं दिया जा रहा।
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कोविड में जमा किया गया कोयला कहां गया
राजेश ने कहा कि कोविड काल में सारे काम ठप थे। कोयले का भारी उत्पादन हुआ। भारी मात्रा में कोयले का भंडार किया गया। कारण कि उसकी ही नहीं है। वह कोयला कहां चला गया। यह सरकार को बताना चाहिए।
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पानी और कोयले से बनती है बिजली
उन्होंने कहा कि बिजली तो पानी और कोयले से ही बनती है। इसकी भारत में कहीं कोई कमी नहीं है। फिर बिजली उत्पादन का खर्च कैसे बढ़ रहा है।
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सरकार के मुफ्त बिजली के वादे का क्या
राजेश ने सवाल किया कि बीजेपी ने 2022 के चुनाव में किसानों को मुफ्त बिजली का वादा किया था। अब सत्ता में हैं तो वादा कब पूरा करेंगे। वादा पूरा करने के बजाय सरकार बिजली दल में 23 प्रतिशत और नए कनेक्शन पर 25 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव ला रही है। यह धोखा नहीं तो और क्या है।