इस कार्य में उनको प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का सहयोग मिला और सोमनाथ मंदिर बनकर तैयार हो गया। सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन का न्यौता पंडित नेहरु को दिया गया लेकिन वह जाने का तैयार नहीं हुए तो प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद सोमनाथ पहुंचे। लेकिन उनकी यात्रा और मंदिर के उद्घाटन को सरकारी माध्यमों से प्रसारण पर रोक लगा दिया गया। श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन को लेकर 1962 में यूपी की कांग्रेस सरकार ने हाईकोर्ट में लिखकर दे दिया कि उसकी इस मामले में कोई रुचि नहीं है।
विश्व हिंदू परिषद की स्थापना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिव गोलवलकर और यूएनआई के पत्रकार शिवराम शंकर आप्टे ने विश्व स्तर पर हिंदुओं को एकजुट करने के लिए संस्था बनाने का विचार किया। तब श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति का सवाल इनके सामने नहीं था। ना ही इन्होंने ऐसा सोचा था कि संगठन आगे चलकर अयोध्या, काशी, मथुरा के लिए आंदोलन करेगी।
मूर्ति भी रखे और हमें कब्रिस्तान में नहीं जाने दे रहे हैं
संगठन की स्थापना का जिम्मा दादा साहब आप्टे को दिया गया जो कि 9 माह तक पूरे देश में भ्रमण करके विभिन्न मत, पंथ, सम्प्रदाय के साधु-संतों को इस विषय में अवगत करा रहे थे। यहां तक कि राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन, सभी राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों, विश्वविद्यालय के कुलपतियों, उद्योगपतियों आदि को सूचित कर रहे थे और इस बारे में उनका मंतव्य भी जान रहे थे।
‘आपको हिंदू शब्द से परहेज है तो मत बनाएं संगठन’ दादा साहब आप्टे की यात्रा में महत्वपूर्ण पड़ाव राजस्थान के तत्कालीन राज्यपाल डॉ सम्पूर्णानंद से रही। बातचीत के क्रम में डॉ सम्पूर्णानंद ने स्पष्ट कहा कि नाम में हिंदू जुड़ा होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर आपको हिंदू शब्द से परहेज है, तो नई संस्था का निर्माण मत कीजिए।
लोहे के बाड़ और ताले में बंद हुए श्रीरामलला, हिंदू रहे अडिग
मद्रास के तत्कालीन राज्यपाल और मैसूर के पूर्व महाराज जयचामराज वाडियार ने नई बनने वाली संस्था का अध्यक्ष बनना स्वीकार कर लिया। विश्व हिंदू परिषद का पहला तदर्थ सम्मेलन बम्बई में कृष्ण जन्माष्टमी 23-30 अगस्त 1964 को पवई स्थित संदीपनी साधनालय में हुआ।प्रयाग का महाकुंभ और संतों का जुटान
बहू बेगम के आतंक से अयोध्या में घरों के दरवाजे बंद हो जाते
दूसरे सम्मेलन में दलाई लामा आए आपात काल की काली छाया से निकलने और अपने संस्थापकों में से एक आरएसएस के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिव गोलवलकर के निधन के बाद विश्व हिंदू परिषद ने अपना दूसरा सम्मेलन आयोजित किया। प्रयाग में हुए दूसरे सम्मेलन का उद्घघाटन दलाई लामा ने किया और इसमे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीसरे सरसंघचालक बाला साहब देवरस मौजूद रहे। इस सम्मेलन में करीब एक लाखा लोगों ने हिस्सा लिया। देश भर में संगठन अपना काम करने लगा और देश के साथ ही विदेशों में भी हिंदुओं को एकजुट करने के लिए विहिप ने काम शुरू कर दिया।