मंगलवार की सुनवाई में इस मुकदमे के अहम पक्षकार निर्मोही अखाड़े के अधिवक्ता ने विवादित 2.7 7 एकड़ जमीन पर पूर्ण स्वामित्व का दावा करते हुए कहा कि न यह जमीन रामलला की है और ना ही सुन्नी वक्फ बोर्ड की . वह पूरी जमीन सिर्फ निर्मोही अखाड़े की है . अखाड़े के अधिवक्ता सुशील जैन ने अदालत में एक लंबी बहस की और कहा कि राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद ( Ram Janm Bhoomi
babari Masjid Case ) स्थल पर 1934 से ही मुस्लिमों का प्रवेश बंद है . उस भूमि पर अखाड़े का सैकड़ों वर्ष पूर्व से मालिकाना हक था अखाड़ा एक पंजीकृत संस्था है . अधिवक्ता ने यह भी मांग की कि परिसर पर मालिकाना हक उसके प्रबंधक और उसके कब्जे को लेकर अखाड़े के पास सैकड़ों वर्षों से आंतरिक परिसर और राम जन्म स्थान का कब्जा था . जबकि क्षेत्र में सीता रसोई ( Seeta Rasoi ) , राम चबूतरा ( Ram Chabutra ) और भण्डार गृह अखाड़े के कब्जे में था . निर्मोही अखाड़े के अधिवक्ता ने कहा कि विवादित भूमि पर उनका दावा सन 1934 से है जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित भूमि पर अपना दावा 1961 में किया था .
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National Handloom Day special : यूपी के टांडा में तैयार होता है सूती गमछा, शर्ट और कुर्ते के कपड़े, लुंगी और लड़कियों के खूबसूरत स्टोल की विस्तृत श्रृंखला चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि ढांचे की स्थिति को साफ करें इस बहस के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ( Chief Justice Ranjan Gogoi ) ने कहा कि ढांचे की स्थिति को साफ करें. चीफ जस्टिस ने यह भी पूछा कि वहां पर प्रवेश कहां से होता है सीता रसोई से या फिर हनुमान द्वार से इसके अलावा सीबीआई ने निर्मोही अखाड़े को रजिस्टर कैसे किया गया इस पर भी सवाल किया .जिरह के दौरान निर्मोही अखाड़े के अधिवक्ता ने यह भी कहा जन्म स्थान पर रामलीला की सेवा और पूजा और मंदिर का प्रबंधन अखाड़े द्वारा होता रहा है . 1934 में राम जन्मभूमि पर बनाई गई मस्जिद में पांच वक्त की नमाज अदा करना मुस्लिमो ने बंद कर दिया था ,16 दिसंबर 1949 से जुम्मे की साप्ताहिक नमाज भी बंद हो गई थी .22/23 दिसंबर 1949 की रात को भगवान रामलला की मूर्ति उस स्थान पर फिर से स्थापित की गई थी .
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अयोध्या के आम मुस्लिमों ने कहा देश की बड़ी आबादी की आस्था से जुड़ा है मुद्दा, संसद में कानून बनाकर विवाद समाप्त करे मोदी सरकार निर्मोही अखाड़े ने किया दावा ब्रिटिश हुकूमत की विभाजित करने की नीती के चलते पूजा करने की व्यवस्था को नही मिल सका औपचारिक रूप निर्मोही अखाड़े ने यह भी दावा किया कि उपासकों ने पूजा के अधिकार को औपचारिक रूप देने के लिए 1989 में अदालत में मुकदमा दायर किया था .बहस के दौरान यह भी कहा गया कि पहले 1853 और फिर 1885 और बाद में 1934 में विवादित स्थल मंदिर/मस्जिद की इमारत और उसकी संपत्ति पर कब्जा करने के लिए दंगे भी हुए थे .निर्मोही अखाड़ा ने यह भी दावा किया कि 1850 में पूजा करने के अधिकार को फिर से लागू करने की कोशिश की गई थी . भीतर अहाते में पूजा करना जारी रखा गया था , ब्रिटिश कब्जे और हिंदुओं और मुसलमानों को विभाजित करने की नीति के कारण इस व्यवस्था को औपचारिक रूप नहीं दिया जा सका .
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#Section370 : जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म होने के बाद राम विलास दास वेदांती का बड़ा आरोप बहस के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता को दी सख्त हदायत सिविल कोर्ट में चल रही राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद की सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता राजीव धवन और सुप्रीम कोर्ट के जजों की जोरदार बहस हुई . सुप्रीम कोर्ट जब निर्मोही अखाड़े के वकील की दलीलों पर टिप्पणी कर रहा था तो राजीव धवन ने बीच में दखल दिया . इस पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा मिस्टर धवन कृपया कोर्ट की गरिमा को बनाए रखें .अदालत ने कहा कि आप कोर्ट के ऑफिसर हैं और इसका ख्याल रखें . वहीं मंगलवार के बाद बुधवार को भी देश की सर्वोच्च अदालत की विशेष संविधान पीठ इस मुकदमे की सुनवाई कर रही है . इस बेंच की अगुवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ( CJI Ranjan Gogoi ) खुद कर रहे हैं. इसके अलावा इस खंड पीठ में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर शामिल हैं.