बंदर के तेरहवीं संस्कार का आयोजन करने वाले विशाल पांडेय से इंसानों जैसा बंदर का अंतिम संस्कार और तेरहवीं संस्कार करने के पीछे का कारण पूछा गया। इसपर विशाल पांडेय ने बताया “बंदरों को हनुमान जी के वंशज के रूप में जाना जाता है।
उमेशपाल हत्याकांड; पुलिस को मिला 5 आरोपियों का रिमांड, थर्ड डिग्री का खौफ, क्या खुलेंगे राज?
लोग समय-समय पर इनकी सेवा भी करते रहते हैं। अयोध्या में इन बंदरों को श्रद्धा की नजर से देखा जाता है। अयोध्या के मंदिरों से इन बंदरों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था भी की जाती रही है।”कुछ दिनों पहले बीकापुर में प्रयागराज हाईवे पर वाहन से टकरा कर एक बंदर गंभीर रूप से घायल हो गया था। कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई थी। बंदर की मौत के बाद विधि विधान से कस्बे के लोगों ने उसका अंतिम संस्कार किया था। मौत के ठीक 13 दिन बाद उसकी याद में शांतिपाठ और तेरहवीं भी कराई गई। इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए और प्रसाद ग्रहण किया।
स्थानीय निवासी संतोष कसौधन ने बताया कि आस्था और बंदरों के प्रति प्रेम के नाते काफी लोगों ने आयोजन में सहयोग किया। हमें बेजुबानों के लिए हमेशा दया का भाव रखना चाहिए।