वही यह पहली बार नहीं है कि अयोध्या के राजा राम की नगरी में माता जानकी की नगरी से कोई शिला आया हो।
गंडक नदी से अयोध्या पहुंची थी शालिग्राम शिला
अयोध्या में 125 वर्ष पूर्व भी नेपाल की गंडक नदी से शालिग्राम अयोध्या आए थे। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं। अयोध्या में स्थित प्राचीन कुंभ नारायण मंदिर में विराजमान भगवान शालिग्राम इसकी गवाही दे रहे हैं।
इस मंदिर की स्थापना 1900 में नेपाल के राज परिवार से जुड़ी रानी राजकुमारी देवी ने शालिग्राम शिला को विराजमान करा कर कराई थी।
1900 में हुई थी मंदिर की स्थापना
कुंभ नारायण मंदिर के निर्वाहन स्वामी हरी प्रपन्नाचार्य के मुताबिक नेपाल की राजकुमारी देवी को एक बार भगवान सपने में आए थे। तब उन्होंने राम नगरी अयोध्या में 1890 के दौरान जमीन ली और 1900 में नेपाली मंदिर की स्थापना कराई थी।
शालिग्राम का होता है दूध से अभिषेक
नेपाली मंदिर के निर्वाहक हरि प्रपन्नाचार्य ने बताया हैं, कि तब से यहां पर भगवान विराजमान हैं। इस मंदिर में प्रातः 6:00 भगवान का गाय के दूध से अभिषेक होता है।
125 साल पहले बनकर तैयार हुआ था नेपाली मंदिर
मंदिर में लगभग 125 साल से भगवान विराजमान हैं। नेपाली मंदिर के निर्वाचक स्वामी हरी प्रपन्नाचार्य ने कहा कि हर मंदिर में शालिग्राम भगवान मिलेंगे।
मंदिरों में बिना शालिग्राम भगवान के नहीं होती प्राण प्रतिष्ठा
क्योंकि बिना शालिग्राम भगवान के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है। बाकी विग्रह का महीने में एक बार अभिषेक होता है। लेकिन शालिग्राम भगवान का हमेशा प्रतिदिन अभिषेक होता है।
अनादिकाल से है भारत और नेपाल का रिश्ता
अयोध्या में बने नेपाली मंदिर की स्थापना भी नेपाल के राजकुमारी ने कराई थी। वहां से शालिग्राम से बने भव्य प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। तब यह मंदिर बन रहा था। अनादिकाल से नेपाल और भारत का अटूट रिश्ता रहा है।