इजरायल से लेकर चीन तक 34 देशों से रामशिलाएं पहुंची अयोध्या
80 करोड़ साल पुरानी रामशिला आस्ट्रेलिया के एक चट्टान से निकाल कर आई। तो चीन में प्रोफेसर जीन डींगोन ने रामशिला भेजी। कुल 34 देशों से रामशिलाएं अयोध्या पहुंचने लगी और शुरू हुआ राममंदिर शिलान्यास का कार्यक्रम, साधु-संतों ने किया आह्वान…।
पहली शिला का पूजन उत्तराखंड के बद्रीनाथ में ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी शांतानंद ने किया। नवरात्र का वक्त था और शिलापूजन का कार्यक्रम देश भर में उत्साह से शुरू हो गया। इतना ही नहीं, देश के अलावा विदेशों में भी रामशिला का पूजन आरंभ हो गया।
Ram Mandir Katha: ‘’हां एक सवाल ऐसा है कि जिसका जवाब हमारे पास कभी नहीं होगा। वह यह कि हमें शिलापूजन रोकना चाहिए था या नहीं। गृह मंत्रालय का विचार था कि पूजन रोकने के लिए हमारे पास पर्याप्त ताकत नहीं थी…’’ 15 नवंबर 1990 को इंडिया टूडे को दिए गए एक इंटरव्यू में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा।
आइए जानते हैं कि साधु-संतों के आह्वान पर विश्व हिंदू परिषद के राम शिलापूजन कार्यक्रम से देश और विदेश में क्या हुआ और केंद्र की राजीव गांधी सरकार किस प्रकार हिंदूत्व के उभार से लाचार हो गई थी।
साल 1989, उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले के संत योगीराज देवरहा बाबा की मौजूदगी मेें प्रयाग महाकुंभ में तीसरी धर्मसंसद का आयोजन विश्व हिंदू परिषद ने किया। इसमें हजारों की तादात में साधु-संत शामिल हुए। धर्म संसद ने घोषणा किया कि श्रीराम जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए देश के हर गांव से एक-एक श्रीराम शिला आएगी और सवा रुपया लिया जाएगा। इसी धर्म संसद में देवरहा बाबा ने विश्व हिंदू परिषद से कहा कि वह संतों के मार्गदर्शन में श्रीरामजन्म भूमि मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्यक्रम शुरू करे।
30 सितंबर से रामशिलाएं देश के हर गांव में जाएंगी और उसे 9 नवंबर तक अयोध्या लाया जाएगा। उसके बाद देवोत्थान एकादशी 9 नवंबर को ही भूमि पूजन किया जाएगा। अगले दिन 10 नवंबर को राममंदिर का शिलान्यास किया जाएगा।
कार्यक्रम शुरू हो गया और पहली शिला का पूजन उत्तराखंड के बद्रीनाथ में ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी शांतानंद ने किया। नवरात्र का वक्त था और शिलापूजन का कार्यक्रम देश भर में उत्साह से शुरू हो गया। इतना ही नहीं, देश के अलावा विदेशों में भी रामशिला का पूजन आरंभ हो गया।
IMAGE CREDIT: रामशिलाओं के प्रति लोगों में गजब की आस्था रही है। बाद के दिनों में अयोध्या में रखी रामशिलाओं का दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते और श्रद्धा से प्रणाम करते। करीब 34 देशों से पूजित शिलाएं अयोध्या पहुंचनी शुरू हो गई
अमेरिका में महात्मा गांधी के वंशज शरद गांधी और प्रोफेसर जगदीश चंद्र गुप्त रामशिला का पूजन करके भारत ले आए। उत्तरी ध्रुव के पास स्थित नार्वे में 30 सितंबर को शिलापूजन किया गया और कैलाश चंद्र शिला लेकर अयोध्या पहुंचे।
ब्रिटेन के मिल्टन कींस में विराट हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया और रामशिला का पूजन हुआ। पश्चिम जर्मनी में पूजन के बाद शिला लेकर हरिबाबू कंसल भारत आए। कनाडा के टोरंटो में शिला पूजन हुआ। हांगकांग में अनेक स्थानों पर रामशिला पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
थाईलैंड में लोगों ने उत्साह से रामशिला पूजन में हिस्सा लिया। इतना ही नहीं, इजरायल, ताइवान, दक्षिण कोरिया और रूस से भी रामशिलाएं अयोध्या पहुंची। चीनी भाषा में रामायण का अनुवाद करने वाले प्रोफेसर जीन डींगोन ने चीन से रामशिला अयोध्या भेजी।
IMAGE CREDIT: देश-विदेश से आई रामशिलाएं अयोध्या तीन दशक से अधिक समय तक राममंदिर निर्माण की प्रतीक्षा में ऐसे रखी रहीं। ऑस्ट्रेलिया के काल वेडीवल्ले ने एक ऐसी चट्टान से निकाली गई रामशिला भेजी थी जो 80 करोड़ साल पुरानी मानी जाती है। रीपूरियन द्विप समूह की रामशिला चिन्मय मिशन के माध्यम से आई तो कई देशों की रामशिलाएं इस्कान के माध्यम से अयोध्या पहुंची। सूरीनाम, नीदरलैंड, डेनमार्क, स्वीडन, बेल्जियम, पुर्तगाल, स्पेन, जाम्बिया, कीनिया, श्रीलंका, नेपाल, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका, शिसीलस, बांग्लादेश, गुयाना, भूटान, मॉरीशस और बोत्सवाना में भी रामशिला पूजन कार्यक्रम हुआ और शिलाएं अयोध्या पहुंंची।
दुनिया के अनेक देशों से हिंदू समाज ने अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए जो धन भेजा उसे तत्कालीन केंद्र सरकार ने विहिप और रामजन्मभूमि न्यास को देने से रोक लगा दिया। आगे पढ़ने से पहले, देखें यह वीडियो:
दस करोड़, 98 लाख लोगों ने किया शिलापूजन विहिप की ओर से जारी आंकड़ों में दावा किया गया कि देशभर में दस करोड़, 98 लाख लोगों ने शिलापूजन में हिस्सा लिया। तीन लाख स्थानों पर शिलापूजन हुआ जिसमें सवा चार हजार स्थानों पर श्रीराम महायज्ञ भी किया गया। इस कार्यक्रम की सफलता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सत्ता से हटने के बाद 15 नवंबर 1990 को इंडिया टूडे को इंटरव्यू दिया और एक सवाल के जवाब में बोले- हां, एक सवाल ऐसा है, जिसका जवाब हमारे पास कभी नहीं होगा। वह यह कि हमें शिलापूजन को रोकना चाहिए था या नहीं। गृहमंत्रालय का विचार था कि पूजन रोकने के लिए हमारे पास पर्याप्त ताकत नहीं थी।
देश में पहली बार मची हलचल श्रीराम शिला पूजन कार्यक्रम में विहिप को विभिन्न प्रदेशों से करीब सवा आठ करोड़ रुपए मिले। जिसमें पश्चिम बंगाल की माक्र्सवादी सरकार ने काफी बाधाएं खड़ी की इसके बावजूद दुर्गापूजा पांडाल में शिलापूजन हुआ और 20 लाख रुपए भी मिले। आसाम, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, हरियाणा, पंजाब, उड़ीसा, कर्नाटक कोई ऐसा प्रदेश नहीं था, जहां शिलापूजन कार्यक्रम नहीं हुआ। सबसे अधिक योगदान उत्तरप्रदेश ने दिया जिसमें एक करोड़, 32 लाख, 60 हजार रुपए इकट्टा हुए।
देश और विदेशों में शिलापूजन का कार्यक्रम चल रहा था, दूसरी तरफ केंद्र सरकार बेचैन थी। 13 अक्टूबर को लोकसभा का आकस्मिक अधिवेशन का आयोजन किया गया और सर्वसहमति से प्रस्ताव पारित किया गया कि केंद्र सरकार शिलापूजन के कार्यक्रम में किसी प्रकार का सहयोग न करे।
इसके अलावा विहिप से लोक सभा ने मांग किया कि शिलापूजन कार्यक्रम बंद कर दे। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी गई कि विहिप के शिलापूजन पर रोक लगाई जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धार्मिक यात्रा निकालना संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार है और इसे नहीं रोका जा सकता है।
रामजेठमलानी ने कहा शिलापूजन हर हाल में रद्द कर दें विश्व हिंदू परिषद का एक प्रतिनिधि मंडल तत्कालीन गृह मंत्री बूटा सिंह से मिला। गृह मंत्री से प्रतिनिधि ने साफ कर दिया कि किसी भी हालत में शिलापूजन का कार्यक्रम नहीं रोका जाएगा। अगले दिन प्रख्यात वकील राम जेठमलानी ने विहिप से अपील किया कि वह शिलापूजन का कार्यक्रम हर हाल में रद्द कर दे।
उसी दिन विहिप का प्रतिनिधि मंडल शीला दीक्षित से मिला और कहा कि शिलान्यास का कार्यक्रम निश्चित समय पर किया जाएगा। इसके बाद श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति की दिल्ली में बैठक हुई जिसके बाद प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। समिति के उच्चाधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष महंत अवैधनाथ ने कहा कि शिलान्यास कार्यक्रम हर परिस्थिति में निर्धारित समय और स्थान पर किया जाएगा।
अगले अंक में हम आपको बताएंगे कि केंद्रीय गृह मंत्री बूटा सिंह ने क्यों कहा शिलान्यास रोक दें, चुनाव का वक्त है, स्थिति बिगड़ जाएगी…