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अयोध्या

भूमिपूजन की वर्षगांठ: बिलाल के बुने कपड़े पहन रामलला के जरिए सर्वधर्म सद्भाव का संदेश

-90 के दशक में देशभर से आयीं रामनामी ईंटें और शिलाएं नहीं लगेंगी मंदिर में
-पहले से तैयार 40 हजार क्यूबिक फिट नक्काशीदार पत्थरों का भी होगा कम इस्तेमाल

अयोध्याAug 05, 2021 / 08:36 pm

Abhishek Gupta

Ram Lala

Ram Lala

अयोध्या. राममंदिर के भूमिपूजन की वर्षगांठ साधारण तरीके से बीत गयी। रामलला का अस्थायी मंदिर फूलों से सजा था। रामनगरी के कुछ मंदिरों में भी विशेष आयोजन हुआ। इस मौके पर रामलला को विशेष भोग लगाने के साथ ही नवीन वस्त्र धारण कराए गए। रामादल ने रामलला के दरबार में आने वाले अतिथियों को रामचरित मानस की प्रतियां बांटीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामलला का विशेष पूजन अर्चन का अनुष्ठान किया। उम्मीदों के विपरीत रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस मौके पर किसी बड़े समारोह का आयोजन नहीं किया। खास बात यह रही कि ट्रस्ट ने रामलला को बिलाल अहमद के हाथों से बुने कपड़े पहनाकर अयोध्या नगरी से चुनावी वर्ष में सर्व धर्म सद्भाव का संदेश देने की कोशिश की।
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सूती और रेशमी पीतांबर में फब रहे थे दशरथ नंदन-
भूमिपूजन के एक साल पूरे होने पर रामलला सहित उनके तीनों भाइयों और भक्त हनुमान को विशेष वस्त्र धारण कराया गया। इस खास दिन के लिए विशेष प्रकार की पोशाक वाराणसी के बिलाल अहमद ने हथकरघे पर बुनी थी। जबकि, मशहूर ड्रेस डिजायनर मनीष त्रिपाठी ने इन वस्त्रों को डिजाइन किया था। वस्त्र में सूत और स्वदेशी रेशम का इस्तेमाल हुआ । पूरे कपड़े में चांदनी जरी की कढ़ाई के साथ सितारे टांके गए हैं। श्रीराम प्रभु के परिधान को सुनहरी कढ़ाई वाले गुलाबी गोटे से सजाया गया। रामलला के कपड़ों का रंग दिन के हिसाब से बदलता है। गुरुवार का दिन होने की वजह से उन्हें पीला वस्त्र धारण कराया गया। इसमें सभी भाई बहुत फब रहे थे।
50 महीने में 29वीं बार अयोध्या पहुंचे सीएम योगी-
50 महीनों में 29वीं बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या पहुंचे। मंदिर के भूमि पूजन की पहली सालगिरह पर उन्होंने धार्मिक अनुष्ठान में भाग लिया। और राम लला की आरती उतारकर पूजन किया।
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मंदिर नहीं अन्य निर्माण कार्यो में लगेंगी रामनामी ईंट-
रामभक्तों के लिए निराशाजनक खबर है। 1989 में देशभर से आईं राम नाम लिखी ईंट और शिलाओं का मंदिर निर्माण में इस्तेमाल नहीं होगा। इसी तरह सालों की मेहनत से तैयार 40 हजार क्यूबिक फिट नक्काशीदार पत्थरों का भी थोड़ा हिस्सा ही मंदिर में लगेगा। इसकी वजह यह है कि 90 के दशक में बने मंदिर के मॉडल से यह निर्माणाधीन मंदिर का मॉडल अलग है। इसलिए रामनामी ईंटों और तराशे गए पत्थरों को 107 एकड़ में फैले रामलला परिसर के अंदर बनने वाले अन्य भवनों व मंदिरों में इस्तेमाल किया जाएगा।
क्यों नहीं हुआ विशेष आयोजन
राममंदिर के भूमि पूजन की पहली सालगिरह पर विहिप ने अंतिम समय में कोई खास कार्यक्रम न करने का निर्णय लिया। पहले इस मौके को धूमधाम तरीके से मनाने की तैयारी थी। सूत्रों के अनुसार भाजपा सरकार 5 अगस्त को विशिष्ट दिवस नहीं बनाना चाहती। क्योंकि ऐसा हुआ तो हर साल यह आयोजन करना पड़ता। इसलिए कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। इसी दिन पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत पीएम मोदी ने 80 लाख लोगों के लिए मुफ्त अनाज योजना की शुरुआत की। इस कार्यक्रम को बड़े जोर शोर से प्रचारित किया गया।
अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि के लिए माहौल-
राम जन्मभूमि के बाद अब विश्व हिंदू परिषद कृष्ण जन्मभूमि मामले को आगे बढ़ा रहा है। इसी सिलसिले में इस बार कृष्ण जन्माष्टमी पर देशभर में विहिप बड़े कार्यक्रम आयोजित करेगा। विहिप कार्याध्यक्ष आलोक कुमार के अनुसार जन्माष्टमी के दिन विहिप का स्थापना दिवस है। इस बार जन्माष्टमी पर 22 अगस्त से 30 अगस्त तक देश भर में कार्यक्रम होंगे।

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