हर घर में मनाई जाती है होली का उत्सव
बसंत पंचमी से शुरू हो रही होली उत्सव की परंपरा 45 दिन के बाद देश दनिया में होली पर्व के रूप में मनाते हैं। इस दिन होलिका दहन के बाद लोग अपने परिवार व सगे संबंधियों के साथ होली खेलते हैं। एक दूसरे से गले भी मिल कर बधाई भी देते हैं।
बसंत पंचमी पर इस होली परंपरा की खास नजारा अयोध्या की हनुमानगढ़ी मंदिर पर देखने को मिलता है। सुबह 5:00 बजे भगवान की पहली आरती के बाद मंदिर परिसर में मौजूद नागा साधु जमकर होली खेलते हैं। हनुमानगढ़ी मंदिर में प्रवेश करने वाले भक्तों को भी अबीर और गुलाल लगाकर इस उत्सव की शुरुआत करते हैं।
बसंत पंचमी पर भगवान से मिलने पहुंचते हैं भक्त
बसंत पंचमी पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान के साथ होली खेलने के लिए अयोध्या पहुंचते हैं। सरयू में स्नान के बाद हनुमानगढ़ी, कनक भवन, राम जन्मभूमि, नागेश्वरनाथ सहित अन्य मठ मंदिरों में दर्शन पूजन कर भगवान को गुलाल और अबीर अर्पित करते है।
रामलला को भी लगाया जाता है अबीर गुलाल
बसंत पंचमी पर होली उत्सव का दूसरा नजारा राम जन्मभूमि परिसर में विराजमान भगवान श्री राम लला का भी होता है। पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की माने तो इस दिन भगवान का सुबह स्नान के बाद सुंदर नए वस्त्र पहनाये जाते हैं। और आरती पूजन के बाद उन्हें अबीर गुलाल भी लगाया जाता है।
बसंत पंचमी पर विशेष व्यंजनों का भोग
आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि भगवान श्री राम लला को बसंत पंचमी के मौके पर इस बार भी विशेष व्यंजनों का भोग भी लगाया जाएगा है। इस बार भी खीर, पूड़ी, मेवा, फल और अन्य व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा। इसका प्रसाद श्री राम लला का दर्शन करने आने वाले भक्तों को भी दिया जाएगा।
बसंत पंचमी पर माँ सरस्वती की भी होती है पूजा
अयोध्या में बसंत पंचमी पर सभी मठ मंदिर स्कूल कॉलेज और संस्कृत पाठशाला उन्हें भी मां सरस्वती का विधि विधान पूर्वक पूजन अर्चन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से धन बुद्धि विवेक बढ़ता है।