एसटीएफ की ओर से शुक्रवार की रात जारी एक बयान के अनुसार, पूर्व विधायक पर धोखाधड़ी और जालसाजी करके करोड़ों रुपये की जमीन अपने सहयोगियों के नाम अनुबंध कराने के लिए साजिश करने का आरोप है।
बयान के अनुसार, पूर्व विधायक पवन पांडेय और उनके सहयोगियों पर अंबेडकरनगर जिला मुख्यालय के नासिरपुर बरवा निवासी चम्पा देवी, पत्नी केदारनाथ सिंह ने वहां अकबरपुर कोतवाली में जमीन का धोखाधड़ी और साजिश के तहत अनुबंध कराने का आरोप लगाया था। इस मामले में पिछले वर्ष प्राथमिकी दर्ज हुई थी। मामले के अन्य आरोपी मुकेश तिवारी, गोविंद यादव, लाल बहादुर सिंह, दीप नारायण शर्मा, नीतू सिंह को पूर्व में ही गिरफ्तार करके विधिक प्रक्रिया पूरी करने के बाद जेल भेजा गया था।
हाईकोर्ट के आदेश पर एसटीएफ से जांच धोखाधड़ी से जमीन कब्जा मामले की आरोपी नीतू सिंह और एक अन्य की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में अलग-अलग तथ्यों पर जमानत याचिकाएं दायर की गयी थीं। हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए 19 मई 2023 को इस मामले की विवेचना एसटीएफ से कराए जाने का आदेश पारित किया। हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में एसटीएफ मामले की जांच कर रही है। एसटीएफ की ओर से जारी बयान के अनुसार, एसटीएफ टीम ने शुक्रवार को पवन पांडेय का अपराध प्रमाणित पाए जाने पर बाराबंकी जिले के राम सनेहीघाट थानाक्षेत्र के भिटरिया के पास से गिरफ्तार कर लिया।
पवन पांडेय पर दर्ज हैं 90 केस एसटीएफ ने बताया कि पवन पांडेय के खिलाफ अंबेडकरनगर, प्रयागराज, लखनऊ और मुंबई समेत कई पुलिस थानों में करीब 90 मामले पंजीकृत हैं। बयान के अनुसार गिरफ्तार आरोपी को एसटीएफ ने अग्रिम विधिक प्रक्रिया पूरी करके जेल भेज दिया। दरअसल, वर्ष 1991 में अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र से पवन पांडेय शिवसेना के टिकट पर जीत दर्ज करने में सफल रहे थे। उनके खिलाफ बाबरी विध्वंश के दौरान भी गंभीर आरोप लगा था। उन पर उमा भारती और लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में बाबरी विध्वंश की योजना बनाने का आरोप लगा था।
एक बार ही जीत दर्ज कर सके पवन पांडेय पवन पांडेय ने वर्ष 1991 के यूपी चुनाव में केवल एक बार जीत दर्ज कर पाए। हालांकि, उसके बाद वह कई चुनाव लड़े लेकिन जीत नसीब नहीं हुई। पवन पांडेय के छोटे भाई कृष्ण कुमार पांडेय उर्फ कक्कू पांडेय ने बसपा के टिकट पर सुल्तानपुर के इसौली सीट से चुनाव लड़ा था। वहीं, यूपी चुनाव 2022 में उनके बेटे प्रतीक पांडेय ने कटेहरी सीट से बसपा उम्मीदवार के तौर पर दावेदारी पेश की। हिंदुत्व छवि की राजनीति के बावजूद क्षेत्र में राजनीतिक पकड़ के कारण पवन पांडेय के परिवार को सपा-बसपा जैसे दलों ने तरजीह दी।