आपको बता दें कि तापमान लगातार नीचे जा रहा है और इसलिए रामलला की देखभाल के लिए ब्लोअर जैसी वस्तुओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। सनातन धर्म में यह मान्यता है कि मूर्तियों को भी प्राण प्रतिष्ठा के बाद उसी तरह का अनुभव होता है जैसे इंसानी शरीर को होता है मतलब प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति में साक्षात आराध्य का वास हो जाता है।
होती ही ये ख़ास देखभाल
जैसे किसी जीवित व्यक्ति की देखभाल की जाती है ठीक वैसे ही रामलला को भी स्नान कराया जाता है, वस्त्र बदले जाते हैं, भोग लगाया जाता है और उनका श्रृंगार किया जाता है।
सुबह की आरती के साथ उन्हें जगाया जाता है और रात्रि में शयन आरती के साथ सुलाया जाता है, बिल्कुल किसी जीवित व्यक्ति की तरह। इसी कारण, ठंड में बदलते तापमान के मौसम में उनके बालरूप की पूजा-अराधना और उनकी ख़ास देखभाल होती है।