हजारों वर्ष तक सुरक्षा रखे जाने की योजना पर हो रहा काम रामलला के मंदिर आंदोलन के दरमियां 1990 से ही राम जन्म की कार्यशाला बनाई गई जहां पर बंसी पहाड़पुर के पत्थरों को तराश कर के मंदिर निर्माण के लिए रखा गया था अहिल्या रूपी पत्थरों का वनवास लगभग तीन दशक बाद खत्म हुआ रामलला का बहुप्रतीक्षित मंदिर बनना शुरू हो चुका है और 2024 जनवरी में रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो गए ऐसे में मंदिर की भव्यता को लेकर लगातार श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कार्य कर रहा है समय-समय पर भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में कारदायी संस्था के लोग मंदिर निर्माण को लेकर मंथन करते हैं जिसमें इंजीनियर और वैज्ञानिकों की भी राय ली जाती है ट्रस्ट की मंशा है कि 500 वर्षों के संघर्ष के बाद बनाए जा रहे हैं रामलला का मंदिर हजारों वर्ष तक सुरक्षित रहे इसमें वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल किया जा रहा है प्राकृतिक आपदाओं से भी मंदिर सुरक्षित रहेगा अब मंदिर के निर्माण कार्य में लगाए जाने वाले सामान भी उच्च गुणवत्ता वाले हैं। अभी तक मंदिर निर्माण की प्रक्रिया चल रही है मंदिर का प्रथम तल 2024 तक बनकर तैयार होगा।
मुस्लिम कारीगरों ने तैयार किया राम मंदिर का चौखट 1000 वर्ष तक सुरक्षित रहने वाले राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। और उसमें लगने वाले मकराना मार्बल की चौखट बाजू भी हजारों वर्ष तक सुरक्षित रहेगा। विहिप के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा की माने तो यह चौखट बाजू 2000 वर्ष तक सुरक्षित रहेगा। जिसे तैयार पर अयोध्या के कार्यशाला रखा गया है। शरद शर्मा ने जानकारी दी है कि यह चौखट बाजू मुस्लिम कारीगरों के द्वारा तैयार किया है। उन्होंने बताया कि समय जब यह पत्थर की तरासी हुई तो मकराना में जो फर्म थी वह मुस्लिम समाज की थी। और वहां के मुस्लिम लोगो ने अपना सौभाग्य समझा कि राम जन्मभूमि के चौखट बाजू में हमारे हाथों से नक्काशी की गई पत्थर वहां पर लगेंगे। इस प्रकार से उन लोगों ने इस पत्थर को बड़ी प्रसन्नता पूर्वक नकाशी की और यह पत्थर मंदिर निर्माण में लगाए जाएंगे। वर्तमान में मकराना से बने चौखट बाजू को कार्यशाला में सुरक्षित रखा गया है।