भ्रमण पथ के विशेषताएँ
हेरिटेज लाइट और स्टोन क्लैडिंग: पथ में हेरिटेज टाइल्स और पत्थरों की परत का उपयोग किया जा रहा है। ये टाइल्स सुरुचिपूर्ण और टिकाऊ मानी जाती हैं और प्रमुख वास्तुकारों की पहली पसंद हैं।
भगवान राम के जीवन प्रसंग की पेंटिंग: मार्ग की दीवारों पर भगवान राम के जीवन चरित्र के प्रसंगों को पेंटिंग के माध्यम से उकेरा जा रहा है। यह दीवारों को धूप, बारिश, हवा, और प्रदूषण से भी बचाती है।
रामायण काल के पौधे: श्रद्धालुओं को रास्ते में भक्ति पूर्ण माहौल देने के लिए पथ में रामायण काल के पौधे भी लगाए जाएंगे।
अन्य मार्गों पर दबाव होगा कम
पर्यटन विभाग की योजना है कि श्रद्धालु और पर्यटक सरयू नदी में स्नान करने के बाद कई मार्गों से मंदिर तक पहुंच सकें। इससे भीड़ का दबाव भी एक मार्ग पर कम हो जाएगा। अभी तक राम पथ, भक्ति पथ और जन्मभूमि पथ के जरिए श्रद्धालु मंदिर पहुंचते थे, लेकिन भ्रमण पथ बन जाने के बाद सरयू नदी में स्नान करने के बाद सीधे राम जन्मभूमि परिसर तक जाया जा सकेगा। इसके बीच में कुछ मीटर पंचकोसी परिक्रमा मार्ग भी पड़ेगा।
हेरिटेज टाइल्स और स्टोन क्लैडिंग से सजाया जा रहा पथ
हेरिटेज टाइल्स और स्टोन क्लैडिंग का उपयोग पथ को सुरुचिपूर्ण और टिकाऊ बनाने के लिए किया जा रहा है। यह टाइल्स मजबूत बोर्ड लाइन और निश्चित आकार के लिए प्रसिद्ध हैं और अनोखा लुक देती हैं। पत्थरों का प्रयोग बाहरी और अंदर की दीवारों पर किया जा रहा है, जिससे दीवारें धूप, बारिश, हवा, और तापमान के बदलाव से सुरक्षित रहती हैं। इसके बीच-बीच में भगवान राम के जीवन चरित्र के प्रसंगों को पेंटिंग के माध्यम से चित्रित किया जा रहा है।
निर्माण कार्य की प्रगति
क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी आरपी यादव का कहना है कि भ्रमण पथ का निर्माण दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। मेलों के दौरान निर्माण कार्य कुछ धीमा हो सकता है, लेकिन मेले समाप्त होते ही इसे तेज कर दिया जाएगा।
भ्रमण पथ का निर्माण अयोध्या में पर्यटन को बढ़ावा देने और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके पूरा होने के बाद भक्त सरयू नदी में स्नान कर सीधे रामलला के दर्शन कर सकेंगे, जिससे अयोध्या की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा सकेगा।