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अयोध्या

बाबरी गुंबद को डायनामाईट से उड़ाने की साजिश, गिरफ्तार हुआ सुरेश बघेल

राजस्थान की धरती जौहर के लिए विख्यात रही है। सबसे पहले राजस्थान से आई हमारी बहनें गिरफ्तारी देंगी। मंच से बोला गया। इतना सुनते ही हजारों की तादात में मौजूद राजस्थानी महिलाओं में जोश और उमंग की लहर दौड़ गई। देखते ही देखते सभी ने पंक्तियां बना ली और गिरफ्तारी के लिए खड़ी हो गई। आइए राममंदिर कथा अभियान के 52वें एपिसोड में आपको बताते हैं सत्याग्रह की आंखों-देखी घटनाएं।

अयोध्याNov 17, 2023 / 08:49 am

Markandey Pandey

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पुलिस की भारी सुरक्षा के बीच महिलाएं बड़ी छावनी होते हुए यज्ञशाला के पास पहुंची और गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू हो गया।

Ram Mandir Katha: 6 दिसंबर 1990। दोपहर करीब 11 बजे। मंच से बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक विनय कटियार बोल रहे थे। यह शांतिपूर्ण सत्याग्रह है। हमने अपना आंदोलन गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए अपनी रणनीति बदली है। सरकार कुछ भी करे, हम उसके लिए तैयार हैं। इसके बाद तब के भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष राजनाथ सिंह (वर्तमान केंद्रीय रक्षा मंत्री) बोलने लगे कि हिंदू धर्म अहिंसा पर आधारित है। अहिंसा में इतनी ताकत है कि उसी ताकत से मंदिर बनेगा। कोई माई का लाल मंदिर निर्माण नहीं रोक सकता।
साधु-संतों का भाषण चल रहा था। सभी शांतिपूर्ण सत्याग्रह की बात कर रहे थे। कारसेवकों को धीरज बनाए रखने और रामधुन गाते हुए गिरफ्तारी देने की अपील की जा रही थी। तभी महंत परमहंस रामचंद्र दास बोले गोली खाने की नौबत आई तो सबसे पहले यह 80 साल का बूढ़ा रामचंद्रदास गोली खाएगा। मरना पाप है, तो मार खाना भी पाप है। मंच पर एक के बाद एक विहिप के नेता और संत-महंत भाषण दे रहे थे। जिसमें अवैधनाथ, उमा भारती, महंत नृत्यगोपाल दास, आचार्य गिरिराज किशोर, रामानुजाचार्य वासुदेवाचार्य आदि मौजूद थे।
‘फूल नहीं चिंगारी हैं, हम भारत की नारी हैं’

राजस्थान की धरती जौहर के लिए विख्यात रही है। सबसे पहले राजस्थान से आई हमारी बहनें गिरफ्तारी देंगी। मंच से बोला गया। इतना सुनते ही हजारों की तादात में मौजूद राजस्थानी महिलाओं में जोश और उमंग की लहर दौड़ गई। देखते ही देखते सभी ने पंक्तियां बना ली और गिरफ्तारी के लिए खड़ी हो गई। हर-हर महादेव और जय श्रीराम से राजस्थान की महिलाओं ने आसमान गूंजा दिया। नारा लगा कि फूल नहीं चिंगारी हैं, हम भारत की नारी हैं।
इसके बाद राजस्थान की महिलाओं ने देवरहा बाबा के रुद्र महायज्ञ की परिक्रमा शुरू किया और गिरफ्तारी के लिए आगे बढ़ी। इनका नेतृत्व साध्वी शिवा भारती, डॉ उजला अरोड़ा, मनोरमा पटवर्धन और सूर्यकांता व्यास कर रही थी। महिलाओं का जत्था रामघाट से निकलकर काशी मंदिर और निर्मोही अखाड़े से होते हुए आगे बढ़ा। नारा लगा कि रामलला हम आए हैं, मंदिर यहीं बनाएंगे। दिंगबर अखाड़े के पास जत्था पहुंचा तो महंत रामचंद्र दास ने सभी के माथे पर तिलक लगाकर विदा किया।
अयोध्यावासियों ने किए पुष्पवर्षा

सत्याग्रह शुरू हो चुका था। महिलाओं का पहला जत्था गिरफ्तारी के लिए निकल चुका था। चारों तरफ जय श्रीराम का उद्घोष गूंजने लगा था। अयोध्या में हर्ष का वातावरण था। अयोध्या वासी महिलाएं अपनी छतों से पुष्पवर्षा कर रही थीं। मंदिर-मठों के दरवाजेे खोलकर साधु-संत खड़े होकर इन सत्याग्रहियों पर अपना आशीर्वचन लूटा रहे थे। आम जनता सत्याग्रहियों का पैर छू लेना चाहती थी।
हनुमानगढ़ी चौराहे से हनुमान गढ़ी की गली में केवल सत्याग्रहियों ने प्रवेश किया। पुलिस की भारी सुरक्षा के बीच महिलाएं बड़ी छावनी होते हुए यज्ञशाला के पास पहुंची और गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू हो गया। महिलाओं को पुलिस ने बसों में बैठाना शुरू कर दिया।
डायनामाईट की कहानी, गुंबदों को उड़ाने की साजिश का खुलासा

कारसेवा के लिए गए बिहार के सासाराम निवासी मनोज तिवारी बताते हैं कि एक तरफ सत्याग्रह चल रहा था तो दूसरी तरफ कुछ युवक रामजन्मभूमि में घुसकर तोड़फोड़ शुरू कर दिए। उनका कहना था कि उन्हें कारसेवा करने दी जाए या उनको गोली मार दी जाए। पुलिस ने समझाने का प्रयास किया।
विहिप के संतों ने भी समझाया जब वे नहीं माने तो पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करके उन्हें भगा दिया। अब वे चाहते थे कि उनको विहिप गिरफ्तारी देने वालों में शामिल कर ले। लेकिन अनुशासनहीनता के आधार पर विहिप ने उनको शामिल करने से मना कर दिया। अब क्या करें? तो उन्होंने अयोध्या में नारे लगाते गली-गली में घुमना शुरू किया।
कारसेवक और बाद में राष्ट्रीय सहारा के पत्रकार मनोज तिवारी कहते हैं कि इसी दौरान एक गैर हिंदू युवक ने हनुमान गढ़ी के पास एक साधु पर चाकू से हमला कर दिया। उसे पकड़ लिया गया। करीब 40-50 की तादात में ऐसे युवक गड़बड़ी फैलाने की कोशिश में थे जो खुद को शिवसेना का बताते थे। पुलिस इनको पकड़ नहीं पाई। दूसरी तरफ एक हादसा हो ही गया।
अगले दिन सुबह मणिराम दास छावनी के पास हनुमान बाग में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई। बाद में उसे जला दिया गया। कई साधु संत कहते रहे कि एक साधु ने आत्मदाह किया है लेकिन उसकी सटीक जानकारी किसी के पास नहीं थी। जबकि कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि कुछ युवक एक आदमी को मार रहे थे। बाद में वहां पर खून धोते और उसे जलाते हुए भी देखा गया था। वह व्यक्ति कौन था, उसको मारने वाले युवक कौन थे, आज भी रहस्य बना हुआ है।
8 दिसंबर की रात एक युवक ने घोषणा कर दिया कि वह डायनामाईट लेकर आया है और गुंबद को उड़ाने जा रहा है। फौरन दो पुलिस कर्मियों ने उसे पकड़ लिया। उक्त युवक सुरेश कुमार बघेल गुजरात से आया था और गिरफ्तार हो गया। युवक ने पुलिस को बताया कि वह महाराष्ट्र के शिवसेना से जुड़ा हुआ है। उसके साथ शिव सेना का नेता सावंत भी था। लेकिन वह भागने में कामयाब रहा।
सुरेश बघेल के पास से डायनामाईट की तीन छड़ों के तीन पैकेट बरामद हुए साथ ही चार मिनट, दो मिनट, एक मिनट और 42 सेकेंड के डिटोनेटर बरामद हुए। यदि वह युवक सफल हो गया होता तो बाबरी ढांचा समेत आसपास के भवन भी जमींदोज हो चुके होते।
गुंबद उड़ाने से पूर्व वह क्या चाहता था

दरअसल युवक अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाया। उसने बताया, “सारा कुछ सेट कर दिया था। लेकिन मैं चाहता था कि ढांचा उड़ाने से पहले भगवान श्रीराम लला को बाहर निकाल लिया जाए। बाद में डायनामाईट की सात छड़ और भी बरामद किया गया। युवक ने काफी योजनाबद्ध काम किया था। उसने पहले ऐसे बम लगाए जो सबको चेतावनी देते कि आसपास से हट जाओ, इसी दौरान रामलला को बाहर निकाल लिया जाता। उसके तीन से चार मिनट के बाद गुंबद उड़ जाता।”
डायनामाईट से गुंबद को उड़ाने की उक्त युवक की योजना तो विफल हो गई लेकिन उत्तर प्रदेश के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक के पास कोई जबाव नहीं था। आखिर इतनी चाक-चौबंद पुलिसिया घेरेबंदी, मोर्चेबंदी के बाद भी गर्भगृह तक एक युवक डायनामाईट इतनी बड़ी संख्या में लेकर कैसे पहुंचा। जारी रखेंगे।
कल के अंक में हम आपको बताएंगे कि प्रख्यात तांत्रिक चंद्रास्वामी ने अयोध्या यात्रा किया और क्या हुआ।

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