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Ayodhya : राम की भूमि पर अफसरों का बड़ा खेल

अयोध्या में विधायक, मेयर सहित 15 अधिकारियों ने खरीदी करोड़ों की जमीन के मामले पर शुरू हुई जांच

अयोध्याDec 23, 2021 / 08:09 pm

Satya Prakash

राम की भूमि पर अफसरों का बड़ा खेल

राम की भूमि पर अफसरों का बड़ा खेल

अयोध्या. राम नगरी अयोध्या में ज़मीन विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार ज़मीन की खरीद फरोख्त का आरोप तत्कालीन जिलाधिकारी अनुज झा, कमिश्नर एमपी अग्रवाल , विधायक वेद गुप्ता ,मेयर ऋषिकेश उपाध्याय समेत 15 आला अफसरों व नेताओ पर लगा है। इन लोगो ने राम मंदिर का फैसला आने के बाद अपने माँ बाप, रिश्तेदारों के नाम राम मंदिर के निकट बेशकीमती ज़मीने खरीद डाली है। खुलासे के बाद सरकार ने जांच के आदेश दे दिए है।
10 रुपये के स्टांप पर हरिजन की जमीन पर कैसे हुआ दान

अयोध्या में महर्षि विद्यापीठ आश्रम के साथ मिलकर माझा बरहेटा में अफसरों और नेताओं ने ज़मीने कौड़ियों के भाव कैसे ली। दरसल महर्षि वेद विद्या पीठ ट्रस्ट के पास करीब एक हज़ार बीघा जमीन अयोध्या में होंगी। लेकिन मांझा बरहेटा के 21 बीघे जमीन एक हरिजन के नाम थी और उस दलित हरिजन ने ये ज़मीन महर्षि विद्यापीठ ट्र्स्ट को 10 रुपये के स्टाम्प पर दान कर दी। ये ज़मीन उस दलित ने दान क्यो दी , ये सवाल तो अहम है ही। लेकिन उससे ज़्यादा ज़रूरी ये कि बिना जिलाधिकारी की अनुमति के दलित हरिजन की ज़मीन ट्र्स्ट के नाम दान कैसे हो गई और राजस्व का भी लाखों नुकसान हुआ। इसी मामले में महादेव और अरविंद नाम के लोगो ने शिकायत अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक कर डाली। अब यह पूरा मामला जांच का विषय बन गया है।
ट्रस्ट के फर्जीवाड़े में अधिकारी भी शामिल

महर्षि वेद विद्या पीठ को लेकर तत्कालीन जिला अधिकारी अनुज झा व कमिश्नर एमपी अग्रवाल ने जांच के बाद पाया कि महर्षि विद्या पीठ ट्र्स्ट ने दान गलत तरीके से लिया है । ये कानूनन वर्जित व्यक्ति द्वारा अवैधानिक अपंजीकृत दान है और ट्र्स्ट पूरी तरह दोषी है। इन अधिकारियों ने बाकायदा शिकायती पत्र पर जांच उपरांत लिखित आदेश भी जारी किया और ट्र्स्ट को दोषी ठहराया। आदेश भी है। कि कैसे डीएम ,कमिश्नर समेत कई अधिकारियों ने ट्र्स्ट को दोषी करार दिया है। लेकिन अब अधिकारियों के ज़मीन खरीदने की पूरी कहानी यही से शुरू होती है। जिस ट्र्स्ट को ब्लैक लिस्ट करना था, जिसमे दोषी को जेल भेजना था, और राजस्व की वसूली करनी थी, आरोप है कि अधिकारियों ने उसमें सौदे बाज़ी शुरू कर दी। अधिकारियों ने अपने आदेश की कॉपी को दबा दिया और ट्र्स्ट को राहत दे दी। और फिर आरोप है कि इस बदले में महर्षि विद्यापीठ ट्र्स्ट ने अधिकारियों को मांझा बरहटा की ज़मीने उनके रिश्तेदारों के नाम लिखनी शुरू कर दी। आरोप तो यहां तक है कि जिस भी अफसर या नेता को महर्षि विद्यापीठ ट्र्स्ट के खिलाफ आदेश की कॉपी मिली या जानकारी हुई। उन सभी ने बहती गंगा में हाथ धो लिया। इसीलिए अयोध्या में नेताओ ,अफसरों व रसूखदार लोगो की खरीदी हुई जायदातर ज़मीने महर्षि ट्र्स्ट की ही है।
अधिकारियों के लिए उजाडे जा रहे किसान

किसानों और वहां के रहने वालों का आरोप है कि जिन अधिकारियों को उनके साथ न्याय करना था ।वो सभी ज़मीन के टुकड़े की खातिर अपना ईमान बेचते चले गए। किसानों ने बताया कि लगभग 40 घर जो हरिजन के है। जिसे पूरा महर्षि वेद विद्यापीठ ट्रस्ट ने लिखा दिया हमारी पिता ने मुकदमा किया था लेकिन दीवानी का मुकदमा चलने के बावजूद भी महर्षि ने जमीन खरीद ली। और अब हम लोगों को उजाड़ा जा रहा है तो वहीं अब किसानों की मांग है कि इस पूरे मामले पर स्पष्ट जांच व दोषियों के खिलाफ f.i.r. कर कार्रवाई की जाए।
अयोध्या के संतो ने भी उठाई जांच की मांग

अयोध्या में शुरू हुई जमीन विवाद को लेकर अब राजनीति भी गरमा गई है आम आदमी पार्टी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं के द्वारा भाजपा के नेता व उनके अफसरों पर कई गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। तो वही अयोध्या के संत समाज भी अब इस मामले पर निष्पक्ष जांच की मांग उठाई है। वही कहा कि इस मामले में जितने भी अधिकारी व अन्य लोग दोषी पाए उन सभी पर कार्यवाही भी हो।

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