उप्र सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा संचालित अयोध्या शोध संस्थान को केंद्र और राज्य सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। संस्थान को इन्साक्लोपीडिया ऑफ रामायण तैयार करने की प्रोजेक्ट मिली है। हर देश और राज्य में रामायण की प्रस्तुतियां और गाथा अलग व अनूठी हैं। सरकार इस प्रोजेक्ट के जरिए देश की युवा पीढ़ी को भगवान राम के चरित्र, आदर्श और उनकी यशगाथा को दस्तावेजों, तथ्यों और प्रमाणों को अनुसंधान के बाद पेश करना चाहती है। ताकि कहीं से किसी को कोई संशय न रह जाए। सरकार की योजना इन्साक्लोपीडिया को 100 वाल्यूम में तैयार करने की है। अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक वाईपी सिंह के मुताबिक पांच साल की इस प्रोजेक्ट के लिए हाल ही में 60-60 लाख रुपए की मदद केंद्र और राज्य सरकार ने दी है।
रामायण की वैश्विक यात्रा पर शोध:- शोध संस्थान रामायण देशों का समूह बनाने पर भी काम कर रहा है। इसमें विदेश मंत्रालय की भी मदद ली जाएगी। दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य पूर्व एशिया मिस्र, यूरोप, अमरीका, कैरेबियन अफ्रीकी देश अध्ययन के दायरे में आएंगे। वाई पी सिंह के अनुसार इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, सूरीनाम, तिनिनाद, गुआना,वियतनाम, कंबोडिया, लाओस, मारीशस,केन्या आदि देश ग्रुप ऑफ रामायण नेशन में शामिल होंगे। भगवान राम और हनुमान के शिलालेख इटली और इराक में भी पाए गए हैं। अमरीका के होंडुरास के जंगलों में राम की मूर्ति मिली है।
तमाम अन्य देशों में भी राम से जुड़े शिलालेख और पुरातात्विक चिन्ह मिले हैं। इन सभी का अध्ययन और संकलन किया जा रहा है। सभी देशों की रामलीलाओं का भी दस्तावेजीकरण होगा। विश्व के तमाम देशों के मंदिरों में स्थापित राम-सीता की मूर्तियों आदि को भी अध्ययन का विषय बनाया जाएगा। देश के 11 राज्य भी रामवनगमन से जुड़े हैं। इन राज्यों को भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनाए जाने की योजना है। लॉकडाउन खत्म होते ही इस परियोजना पर तेजी से काम शुरू होगा। देश-विदेश के शोधार्थियों को भी इस प्रोजेक्ट से जोड़ा जाएगा।