रामजन्मभूमि के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि, विश्व हिंदू परिषद ने जिस जगह शिलान्यास किया था उसके पास की जो जमीन थी वहां पर चबूतरा बना था। कारसेवकों के द्वारा बना चबूतरा इतना मजबूत था कि कई दिनों से उसकी तुड़ाई हो रही है लेकिन अभी तक टूट नहीं पाया है। उन्होंने बताया कि यह चबूतरा तोड़ना इसलिए आवश्यक है क्योंकि जो मंदिर का मॉडल है उसी के मध्य में यह आ रहा है इसलिए इसको तोड़ना जरूरी है। पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि, जब तक यह तोड़ा नहीं जाएगा तब तक नक्शे के अनुसार कार्य शुरू नहीं हो पाएगा। इसके बाद मानस भवन भी तोड़ा जाएगा।
राम चबूतरे का अस्तित्व खत्म :- राम जन्मभूमि के लिए पहला मुक़दमा 29 जनवरी 1885 को दायर किया गया था। मुक़दमे में 17X21 फ़ीट लम्बे-चौड़े चबूतरे को जन्मस्थान बताया गया और वहीं पर मंदिर बनाने की अनुमति मांगी गई, ताकि पुजारी और भगवान दोनों धूप, सर्दी और बारिश से मुक्ति पाएं। उसी स्थान को राम चबूतरा कहा जाता है। यहां पर राम की बाल स्वरूप मूर्ति विराजमान थी। आने वाले दिनों में राम चबूतरे का अस्तित्व खत्म होने जा रहा है। वैसे राम जन्मभूमि परिसर में दो राम चबूतरे हुआ करते थे, जिसमें एक आध्यात्मिकता के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर चुका था तो दूसरा श्रद्धा और विश्वास की पहचान बन चुका था।
अपील का रखा सम्मान :- ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि, नक्शा पास के बाद निर्माण कार्य शुरू होगा। जांच के लिए मिट्टी आईआईटी चेन्नई भेजी गई है, वहां से जांच रिपोर्ट आने के बाद तय किया जाएगा कि मंदिर की नींव कितनी गहरी होगी और कब से काम शुरू होगा। पत्थरों को जोड़ने के लिए करीब 10 हजार तांबे की छड़ों के दान की अपील की थी। लगता है कि अपील से अधिक तांबा अयोध्या पहुंचा जाएगा।
बड़ी मशीनें और मजदूर तैयार :- विहिप के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज बताते हैं कि राममंदिर निर्माण कार्य में बड़ी-बड़ी मशीनों का उपयोग अधिक होगा। फिलहाल माना जा रहा है कि कम से कम 100 मजदूरों के साथ मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होगा। रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला में तराशे गए पत्थरों को किस तरह प्रयोग करना है? ये सब अब एलएंडटी को ही तय करना है। एलएंडटी कंपनी अपने कार्यालय के लिए स्थान तय कर लिया है। कुछ वक्त में कार्यालय अस्तिव में आ जाएगा।
रामकथा कुंज की स्थापना :- बताया जा रहा है कि राम मंदिर सिर्फ साढ़े 3 एकड़ भूमि पर ही बनेगा। बाकी भूमि पर कई योजनाएं है। जैसे कि रामकथा कुंज की स्थापना। जिसमें राम जन्म से लेकर गुप्त होने तक के जीवन चरित्र को मूर्तियों के माध्यम से दर्शाया जाएगा। एक नक्षत्र वाटिका, जिसमें नक्षत्रों के अनुरूप पेड़ों को लगाया जाएगा।
चार अन्य मंदिरों का निर्माण होगा :- इसके अलावा शेषावतार मंदिर, गणेश मंदिर, लक्ष्मण मंदिर समेत चार अन्य मंदिरों का निर्माण किया जाएगा। मंदिर के चार द्वार होंगे जिन्हें गोपुरम कहा जाएगा, साथ ही वैदिको का स्थान शिक्षण अर्जन, प्रवचन का स्थान भी रहेगा। राम के जीवन चरित्र को लोग सुने तो उसका भी व्यापक रूप से विस्तार होगा, साथ ही भगवान राम के जीवन चरित्र पर शोध करने वाले लोगों को भी स्थान मिले, ऐसी व्यवस्था भी की जाएगी।