राजनीति से दूर जिंदाबाद के नारों से करते रहे परहेज आडवाणी ने अपनी रथ यात्रा को पूरी तरह श्रीराम मंदिर के लिए समर्पित करने के लिए सख्त हिदायत दे रखी थी कि कोई भी नारा राजनैतिक नहीं लगना चाहिए। आडवाणी जिंदाबाद के नारे तो कदापि नहीं लगने चाहिए। भाजपा के नेता जरूर सभाओं में भाषण देते और सरकार पर तंज करते थे लेकिन उनका भी विषय राम मंदिर ही होता था।
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मुलायम सिंह यादव ने दी धमकी यूपी में घुसने नहीं देंगे 1990 में गुजरात में जनता दल की सरकार थी जिसके मुख्यमंत्री चिमन भाई पटेल थे। पटेल आडवाणी से मिलने आए। गुजरात सरकार ने रथयात्रा में पूरा सहयोग दिया। राजस्थान में भी जनता दल के नेताओं ने रथयात्रा में सहयोग किया। जबकि उत्तर प्रदेश में जनता दल की सरकार थी। जिसके मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे। मुलायम सिंह ने खुलेआम धमकी दी कि आडवाणी की रथयात्रा को उत्तर प्रदेश में घुसने नहीं देंगे।तब के प्रधानमंत्री वीपी सिंह बने थे राममंदिर आंदोलन के मुख्य खलनायक
हम जातिगत आरक्षण के खिलाफ हैं आंध्रप्रदेश में 3 और 4 अक्टूबर को जनसभा हुई। हैदराबाद में विशाल जनसभा हुई। इस सभा में आडवाणी ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लेकर कहा कि हम जातिगत आरक्षण के खिलाफ हैं। आंध्रप्रदेश में 40 छोटी-बड़ी जनसभाएं हुई और पूरा माहौल राममय हो गया था। विभिन्न स्थानों पर लोग देर रात एक से दो बजे तक सड़क पर खड़ा होकर रथ का इंतजार करते रहते।इजरायल से लेकर चीन तक 34 देशों से रामशिलाएं पहुंची अयोध्या
22 अक्टूबर 1990 इसी दिन बिहार के गांधी मैदान में विशाल जनसभा हुई। लाखों की तादात में लोग आडवाणी को सुनने आए। बिहार के नेताओं में ताराकांत झा, लालमुनि चौबे, सुशील कुमार मोदी और उत्तर प्रदेश से आए कलराज मिश्र का भाषण चल रहा था। माहौल काफी गर्म था। जोशीले भाषण के बीच नेताओं का तारतम्य कई बार गड़बड़ हुआ। भाजपा नेताओं को अंदेशा हो चुका था कि रथ को रोका जा सकता है। आडवाणी की गिरफ्तारी हो सकती है।आडवाणी ने इस जनसभा में राममंदिर से अधिक केंद्र सरकार पर हमला बोलने में समय लगाया। वह काफी आक्रोश में थे। अगले दिन रथ बिहार के समस्तीपुर के लिए रवाना हो गया। अगले दिन सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर समस्तीपुर सर्किट हाउस से आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया। इसी के साथ समस्तीपुर के आसपास के जिलों में गिरफ्तारी के विरोध में लोगों का आक्रोश फूट पड़ा। लोगों ने खुद ही बिहार बंद का आयोजन कर दिया। जिसके कारण सरकार ने विरोध करने वाले सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
उस समय वह दाढ़ी बना रहे थे। भूल से बिहार सरकार के अधिकारियों ने उनके कमरे का दरवाजा खटखटा दिया। जिसके बाद प्रमोद महाजन को जानकारी मिल गई। गिरफ्तारी के बाद आडवाणी को बंगाल और झारखंंड के सीमा पर दुमका जिले के एक सर्किट हाउस ले जाया गया। उनकी गिरफ्तारी की पटकथा बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मिलकर लिखी थी। एक रात पहले ही हुई बातचीत में गिरफ्तारी का आदेश टाईप कर लिया गया था।