राम नगरी अयोध्या में विश्व की सवसे ऊंची मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की प्रतिमा लगाने को लेकर पहले मीरापुर द्वाबा क्षेत्र में प्रस्तावित थी लेकिन तकनीकी दिक्कतों व स्थानीय विरोध के चलते इस ड्रीम प्रोजेक्ट को मीरापुर द्वाबा से स्थानांतरित करना पड़ा। अब प्रदेश सरकार ने माझा बरेहटा की 86 हेक्टेयर जमीन पर श्री राम की विशाल प्रतिमा और डिजिटल म्यूजियम तथा फूड प्लाजा आदि बनाने के लिए स्वीकृत दी है।कवायद के तहत जिला प्रशासन की ओर से जमीन अधिग्रहण को लेकर नोटिफिकेशन जारी होते ही भूमि अधिग्रहण का विरोध शुरू हो गया और समाजवादी पार्टी व कम्युनिस्ट पार्टी के नेता भी इसके विरोध में खड़े होते दिखाई दे रहे है।
इस विवाद को लेकर अब कम्युनिस्ट पार्टी व समाजवादी पार्टी के नेता भी गांव के पक्ष में सामने आते दिखाई दे रहे है। गांव पहुंचे समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडे ने भी सरकार के इस नीति का विरोध करते हुए कहा कि कि राम की प्रतिमा लगाने के लिए अधिग्रहण से पहले स्थानीय लोगों की मांगे पूरी हो उसके बाद ही अधिग्रहण की कार्यवाही की जाए कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सूर्यकांत पांडे ने सरकार की योजना पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह अयोध्या के कुछ प्रमुख मंदिरों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार योजनाबद्ध रूप से कार्य कर रही है जब भगवान श्री राम की प्रतिमा लगाने को लेकर अयोध्या में कई मठ मंदिर है जिनके पास 500 से अधिक बीघा जमीन उपलब्ध है लेकिन गरीबों की झोपड़ियों को हटाने के लिए सरकार कार्य कर रही है।
वही भगवान श्री राम की प्रतिमा को लेकर संत समाज इस योजना के समर्थन में दिखाई दे रहे हैं रामजन्मभूमि पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने साफ कहा है कि राम मंदिर निर्माण को लेकर राजनीतिक पार्टी इस फैसले में अड़ंगा लगाने का कार्य कर रहे थे लेकिन अब अयोध्या की अद्वितीय भगवान श्री राम की प्रतिमा को लगाए जाने को लेकर योजना को रोकने का प्रयास कर रहे हैं यह अयोध्या के लिए दुर्भाग्य है वही बताया कि राम प्रतिमा लगाने पर यदि किसी किसान की जमीन ली जा रही है तो उसको आपत्ति के लिए वह स्वयं शासन व कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है लेकिन इसमें राजनीतिक पार्टियां अपनी रोटी सेक रहे हैं और अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस तरह के कृत्य कर रहे हैं।