देश भर से लोगों ने पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर शोक व्यक्त किया है और राष्ट्र के लिए उनके योगदान को याद किया है। उत्तर प्रदेश सरकार में सामाजिक कल्याण, अनुसूचित जाति और जनजातीय कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण, जिन्होंने 2004 से तीन साल तक पूर्व प्रधान मंत्री के बॉडीगार्ड के रूप में काम किया है, उन्होंने अपने एक्स (ट्विटर) से एक पोस्ट शेयर की है। इस पोस्ट में उन्होंने डॉक्टर मनमोहन सिंह की सादगी से जुड़ा एक किस्सा साझा किया है।
एक्स पर उन्होंने लिखा, ‘’डॉ साहब की अपनी एक ही कार थी – मारुति 800, जो पीएम हाउस में चमचमाती काली बीएमडब्ल्यू के पीछे खड़ी रहती थी। मनमोहन सिंह जी बार-बार मुझे कहते- असीम, मुझे इस कार में चलना पसंद नहीं, मेरी गड्डी तो यह है (मारुति)। मैं समझाता कि सर यह गाड़ी आपके ऐश्वर्य के लिए नहीं है, इसके सिक्योरिटी फीचर्स ऐसे हैं जिसके लिए एसपीजी ने इसे लिया है। लेकिन जब कारकेड मारुति के सामने से निकलता तो वे हमेशा मन भर उसे देखते। जैसे संकल्प दोहरा रहे हो कि मैं मिडिल क्लास व्यक्ति हूं और आम आदमी की चिंता करना मेरा काम है। करोड़ों की गाड़ी पीएम की है, मेरी तो यह मारुति है।’’
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असीम अरुण के जरिए साझा किया गया यह किस्सा डॉक्टर सिंह की सादगी को दिखता है कि, अपनी एक मामूली मारुति सुजुकी 800 के प्रति उनका कितना लगाव था। उनकी आधिकारिक यात्रा के लिए बीएमडब्ल्यू सहित हाई सेफ्टी वाली एडवांस गाड़ियां तैनात थी, लेकिन डॉक्टर सिंह अक्सर मामूली कार के लिए अपनी प्राथमिकता व्यक्त करते रहे हैं।
कैसी थी मनमोहन सिंह की मारुति 800 कार?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉक्टर मनमोहन सिंह के पास 1996 मॉडल मारुति सुजुकी 800 थी। वे अपनी संपत्ति में इस कार का भी जिक्र कर चुके हैं। 1986 से 1997 के समय में मारुति 800 का टॉप वेरिएंट STD हुआ करता था। उस समय इसकी एक्स-शोरूम कीमत लगभग 1.66 लाख रुपए से 1.88 लाख रुपये तक हुआ करती थी। यह कार 796cc पेट्रोल इंजन के साथ आती थी, साथ ही LPG सपोर्ट का भी विकल्प मिलता था। मारुति 800 मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ आती थी। अलग-अलग वेरिएंट्स के आधार पर इसका माइलेज 14kmpl से 16.1kmpl के बीच था। इसके डाइमेंशन की बात करें तो, यह 5 सीटर कार 3335mm लंबी, 1440mm चौड़ी और इसका व्हीलबेस 2175mm था।
मारुति सुजुकी 800 का इतिहास
भारत में 1980 के दशक में कार का मालिक होने का मतलब आपकी लग्जीरियस लाइफ मानी जाती थी। उस समय देश में महज दो कारों फिएट और एंबेसडर का ही विकल्प मौजूद था। ऐसे में एक नई एडवांस कार का विचार मानो सपना भर ही था। हालांकि, इसी दौरान भारत में एक छोटी कार के रूप में मारुति 800 की एंट्री होती है, जो भारतीय ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के लिए एक क्रांतिकारी कार से काम नहीं थी, इसने पूरा खेल ही बदल कर रख दिया है।
मारुति 800 मतलब स्टेटस सिंबल
मारुति 800 टेक्नोलॉजी के मामले में अपने कंपटीटर से आगे थी। यह छोटी और हल्की कार थी, यह रख-रखाव और चलाने में भी आसान थी। इसके आलावा इसका माइलेज भी दमदार था। भारत में इसे पहली बार 1983 में लॉन्च किया गया था। लॉन्चिंग के बाद से ही यह सिर्फ अमीरों या गरीबों के लिए नहीं थी। मारुति 800 उद्योगपतियों से लेकर अधिकारियों तक हर एक आदमी की पसंदीदा कार बन गई, ऐसा दौर आया कि, मारुति 800 का मालिक होना स्टेटस सिंबल बन गया। इस छोटी कार ने भारतीय मध्यम वर्ग के सपनों के रूप में बजाज स्कूटर की जगह ले ली और इसके बाद भारत में आने वाली अन्य कार कंपनियों के लिए रस्ते खोल दिए।
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मारुति ने जब 9 अप्रैल, 1983 को अपनी इस कार के लिए बुकिंग लेना स्टार्ट किया तो इसने भारतीय ग्राहकों को बहुत ज्यादा प्रभावित किया। प्री-लॉन्च फेज के दौरान लगभग 120,000 ग्राहकों ने इसे खरीदने की उत्सुकता दिखाई और टोकन अमाउंट के रूप में 10,000 रुपये का अग्रिम भुगतान किया। जानकर हैरानी होगी उस समय इसका वेटिंग पीरियड 3 साल का था। बुकिंग विंडो खुलने के ठीक दो महीने बाद 8 जून तक, कंपनी को 1.35 लाख यूनिट्स से ज्यादा का आर्डर मिला।
मारुति 800 की पहली कीमत
लॉन्चिंग के समय दिल्ली में मारुति 800 की कीमत 52,500 रुपये थी। 14 दिसंबर, 1983 से इसकी डिलीवरी शुरू कर दी गई। पारदर्शी ड्रा के माध्यम से चुने गए पहले 10 ग्राहकों को स्वयं प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के हाथ से चाबियां दी गई। पहली कार, इंडियन एयरलाइंस के कर्मचारी हरपाल सिंह को सौंपी गई, जिन्होंने मारुति 800 खरीदने के लिए अपनी फिएट कार बेच दी थी। सिंह भारतीय ऑटोमोबाइल इतिहास का हिस्सा बन गए, और प्रधानमंत्री के साथ उनकी तस्वीर आज भी लोगों के बीच मौजूद है। यह भी पढ़ें– नए अवतार में जलवा बिखेरने को तैयार हैं TATA की ये 2 सस्ती कारें, ऑटो एक्सपो 2025 में होंगी लॉन्च! मारुति 800 का 25 लाख यूनिट्स का माइलस्टोन
देखते ही देखते मारुति 800 ने 1986-87 में 1 लाख यूनिट्स के प्रोडक्शन का आंकड़ा हासिल कर लिया और 1992-93 में 5 लाख यूनिट्स के प्रोडक्शन का माइलस्टोन पार करने में सक्षम रही है। 1996-97 आते-आते यह आंकड़ा दोगुना होकर 10 लाख यूनिट्स का हो गया। 1999-2000 में 15 लाख यूनिट्स के आंकड़े को भी पार कर गई। मारुति की ये छोटी कार लगातार भारतियों के दिल में जगह बनती गई और 2002-03 में 20 लाख यूनिट्स तो वहीं और 2005-06 में 25 लाख यूनिट्स के आंकड़े को भी पार कर लिया है।
मारुति 800 की भारतीय बाजार से विदाई
बाद में टाटा नैनो जैसी अन्य कारों से चुनौती के प्रयास के बावजूद भी भारतियों के बीच नंबर-1 कार के रूप में राज करती रही। पूरे भारत में 27 लाख से ज्यादा यूनिट्स की बिक्री के बाद आखिरकार 2014 में मारुति 800 ने भारतीय बाजार से विदाई ले ली।सख्त बीएस 4 उत्सर्जन मानदंडों की शुरूआत ने प्रोडक्शन जारी रखने के लिए इसे अव्यावहारिक बना दिया, और इसकी जगह एंट्री लेवल कार के रूप में मारुति ऑल्टो ने ले ली। हालांकि, मारुति 800 लोगों के दिलों में किस्से और कहानियों के रूप में आज भी जिंदा है।