इसके अलावा मेष, सिंह और धनु लग्न वाले व्यक्ति भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं। कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न वालों को यह सामान्य फल ही देता है। कन्या मकर मिथुन तुला कुंभ लग्न के जातकों को यह रत्न नहीं पहनना चाहिए। शनि संबंधी व्यापार करने वाले व्यक्तियों को भी यह रत्न नहीं धारण करना चाहिए।
माणिक्य पहनने के फायदे
1. माणिक्य रत्न का संबंध सूर्य से है और सूर्य की कृपा होने से ऊंचा पद यश आदि मिलता है। इसके चलते यह रत्न पहनने पर अगर किसी व्यक्ति को सूट करता है तो उस व्यक्ति को राजकीय और प्रशासनिक कार्यों में सफलता मिलने लगती है। यह रत्न सूट करता है तो चेहरे पर चमक आने लगती है।
2. यदि कोई व्यक्ति नौकरी संबंधित परेशानी का सामना कर रहा है और ज्योतिषी उसे माणिक पहनने की सलाह देते हैं तो उसे फायदा हो सकता है। ऐसे जातक को नौकरी में ऊंचा पद और प्रतिष्ठा मिल सकती है।
3. इस रत्न के प्रभाव से जातक में नेतृत्व क्षमता बढ़ती है, उसे सरकारी सेवाओं में समर्थन और प्रशंसा मिलती है।
4. माणिक यानी रूबी जेमस्टोन पहनने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है, उसके व्यक्तित्व में निखार आता है। आंख की रोशनी और रक्त परिसंचरण में सुधार आता है।
5. कुंडली में कमजोर सूर्य वाले लोगों के लिए यह रत्न अच्छा माना जाता है। जिस व्यक्ति को अपच, पीलिया, दस्त, हाई और लो ब्लड प्रेशर की समस्या सताती है। उसके लिए माणिक बहुत फायदेमंद होता है।
6. रूबी धारण करने से हड्डियां मजबूत होती हैं, त्वचा संबंधी बीमारियों को दूर करने में भी मददगार होता है।
7. माणिक पहनने वाले व्यक्ति पर कोई संकट आने वाला है तो पहले ही बता देता है। मान लीजिए किसी व्यक्ति की मृत्यु होनी है तो तीन महीने पहले ही माणिक्य का रंग फीका पड़ने लगेगा। गंभीर बीमारी आने पर भी यह फीका पड़ने लगता है।
8. पति-पत्नी दोनों माणिक्य पहन रहे हैं और उनमें से एक बेवफाई कर रहा है तो दूसरे के हाथ का माणिक्य फीका पड़ने लगता है।
9. दूषित विचारों को नियंत्रित करने में सफलता मिलती है।
2. माणिक के सूट नहीं करने पर हड्डियों और आंखों की समस्या भी होने लगती है। इसी के साथ पारिवारिक समस्या भी बढ़ जाती है।
3. इसके सूट न करने पर कार्यस्थल पर विवाद होने शुरू हो जाते हैं और नेतृत्व क्षमता कमजोर पड़ने लगती है।
4. यह जातकों के अहंकार को भी बढ़ा देता है। माणिक्य पहनने के नियम
2. शनि की राशि या लग्न में माणिक पहनने से पहले ज्योतिषी की सलाह जरूर लें।
4. माणिक को लोहे की अंगूठी में पहनना नुकसानदायक साबित हो सकता है।
5. माणिक्य को अंगूठी जड़वाने के चार साल बाद जरूर बदलवा लेना चाहिए।
6. माणिक को सोने या तांबे की अंगूठी में अनामिका अंगुली में पहनना चाहिए।
7. रविवार दोपहर में या सूर्योदय के बाद स्नान कर ही इसे पहनना चाहिए, और वजन छह से सवा सात रत्ती के बीच होना चाहिए।
8. अंगूठी धारण करने से पहले गाय के दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लें। इसके बाद सूर्य देव के मंत्र ऊँ सूर्याय नमः को एक माला जपकर ही पहनें।
माणिक्य की ऐसे करें पहचान
यह लाल, रक्तवर्णी, गुलाबी, फीका गुलाबी आदि रंगों का होता है। सबसे अच्छा माणिक्य म्यांमार में पाया जाता है। मान्यता है कि कमल के फूल की कली पर माणिक्य रखने पर वह खिल जाती है। इसके अलावा दूध में असली माणिक रखने पर यह गुलाबी नजर आता है। इसी के साथ कांच के बर्तन में रखने पर चारों ओर हल्की किरण सी निकलती दिखाई देती है।