देशभर के 500 से अधिक मंचों पर दी गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति, संस्कृति को रखा जीवित
ग्राम चिलमगोटा (रेंगाडबरी) में हरेली पर्व पर हर घर में बच्चों द्वारा गेड़ी बनाने की परंपरा आज भी जारी है। हर साल बच्चे हरेली पर इस गांव में गेड़ी खेलकूद का आयोजन करते हैं। यही नहीं इस गांव के युवाओं व बच्चों की गेड़ी नृत्य भी प्रदेश व देशभर में प्रसिद्ध है।
Hareli : बालोद जिले के डौंडीलोहारा विकासखंड के ग्राम चिलमगोटा (रेंगाडबरी) में हरेली पर्व पर हर घर में बच्चों द्वारा गेड़ी बनाने की परंपरा आज भी जारी है। हर साल बच्चे हरेली पर इस गांव में गेड़ी खेलकूद का आयोजन करते हैं। यही नहीं इस गांव के युवाओं व बच्चों की गेड़ी नृत्य भी प्रदेश व देशभर में प्रसिद्ध है। यहां के गेंड़ी नृत्य दल ने असम गुवहाटी में हुए अंतरराष्ट्रीय नृत्य प्रतियोगिता में गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी है।
500 से अधिक मंचों व गांवों में गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी
इस गांव में गेड़ी की शुरुआत स्कूल में शिक्षक रहे सुभाष बेलचंदन ने की। बीते साल उनकी मौत के बाद अब इस गेड़ी नृत्य को उनके दोस्त जितेंद्र साहू व उनकी पूरी टीम संभाल रही है। अब तक टीम ने छत्तीसगढ़ के अलावा देश की राजधानी दिल्ली सहित लगभग 500 से अधिक मंचों व गांवों में गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी है।
अशोक निषाद, जितेंद्र साहू, मोरध्वज, टेकूराम, अंकालूराम यादव, शेषलाल, जंताराम, राधेश्याम, विनय कुमार, पिनेश, रुपेश, बाबूलाल, जागृत, सुपेश, विकेश व अवध राम आदि शामिल हैं।
हरेली पर गेड़ी दौड़ हमारी संस्कृति व परंपरा
गेड़ी नृत्य के संचालक जितेंद्र साहू नें बताया कि गेड़ी हमारी संस्कृति व परंपरा है और हमें अपनी संस्कृति को भूलना नहीं हैं। आज यहां के युवाओं ने मिलकर इस गेड़ी नृत्य को जिंदा रखा हैं। जिले के अधिकांश गांवों में गेड़ी विलुप्त हो चुकी है। लोगों को गेड़ी के प्रति फिर से जागरूक करने व अपनी संस्कृति को बचाने गेड़ी नृत्य करते हैं।
गेड़ी नृत्य के माध्यम से जिले को अंतराष्ट्रीय स्तर में पहचान दिलाई है। पूरे छत्तीसगढ़ में अगर गेड़ी नृत्य की जिक्र होता हैं तो सबसे पहले बालोद जिले के चिलमगोटा के इन गेड़ी कलाकारों का जिक्र होता है। प्रदेश में कहीं भी छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्यौहार हो, वहां इस गेड़ी नृत्य टीम की भी प्रस्तुति देखने को मिलती है।
हरेली पर्व आज, कृषि औजारों और गोधन की होगी पूजा, बनेगी ठेठरी, खुरमी व पकवान
बालोद. छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार हरेली पर्व रविवार को जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत तरीके से मनाया जाएगा। कृषि औजारों व गोधन की विशेष पूजा कर अच्छी फसल की प्रार्थना की जाएगी। यही नहीं गोधन को औषधि भी खिलाई जाएगी। ग्रामीण अंचल में इस पर्व को लेकर एक दिन पहले ही तैयारी पूरी कर ली गई है।
अंचल में हरेली के दिन से ही त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में हरेली पर्व में अन्नदाता बैलों और हल सहित विभिन्न औजारों की विशेष पूजा करने के बाद खेती-किसानी का काम शुरू करते हैं। वहीं बच्चों में भी इस पर्व को लेकर खास उत्साह दिख रहा है।
गेड़ी व होंगे विविध खेल, पकवान का भी लिया जाएगा स्वाद
हरेली पर बांस की गेड़ी बनाकर बच्चे इस पर चढ़कर चलते हैं। वहीं, कहीं-कहीं गेड़ी दौड़ प्रतियोगिता भी रखी होगी। कई जगह कुर्सी दौड़, मटका फोड़ सहित विविध आयोजन होंगे। साथ ही घरों में छत्तीसगढ़ी पकवान चीला, ठेठरी, खुरमी, बड़ा, पूड़ी आदि बनेंगे।
हरेली पर्व के बाद से शुरू हो जाता है त्योहारों का सीजन
प्रदेश का पहला व प्रमुख त्यौहार हरेली है। हरेली पर्व के बाद से त्यौहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है। जो देवउठनी तक शुरू रहता है। वहीं इस तिज त्यौहारों को लेकर काफ़ी उत्साह देखा जा रहा है।