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इन लड़कियों को पूजा जाता है देवी की तरह, जमीन पर नहीं रख सकतीं पैर

इन्हें देवी का रूप माना जाता है इसलिए इन्हें मंदिर के बाहर अपने पैरों पर भी चलने की आजादी नहीं हैं

Sep 18, 2016 / 12:17 pm

Abhishek Tiwari

Kumari Puja In Nepal

Kumari Puja In Nepal

काठमांडु। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार लड़कियों और महिलाओं को देवी माना जाता है। यहीं कारण है कि हिन्दू धर्म में देवी पूजा का बहुत ही महत्व है। यहीं कारण है कि नवरात्र के समापन पर कुवांरियों को भोजन कराने का प्रचलन है। इसके आलावा अपने धर्म में देवी-देवताओं के प्रतीक को पूजा जाता है। इससे अलग नेपाल में कुछ अलग मान्यताएं हैं। यहां छोटी लड़कियों को देवी की तरह पूजा जाता है। इस पूजा को कुमारी पूजा के नाम से जाना जाता है।



इन लड़कियों की कुंडली को मिलाया जाता है राजा की कुंडली से
कुमारी का दर्जा पाने वाली लड़कियां शुरू से अपने परिवार के साथ बिल्कुल अकेले में रहती हैं। नेपालियों का मानना है कि ये हिंदुओं में पूजी जाने वाली शक्ति की देवी महाकाली की रूप हैं। इसके लिए जब लड़कियों का चुनाव होता है, तो उन्हें 32 स्तरों पर कड़ी परीक्षाओं से गुजरना होता है। तमाम खूबियों के साथ इनकी जन्मकुंडली भी नेपाल के राजा से मिलाकर देखी जाती है। जिस लड़की के सितारे राजा के लिए फायदेमंद होते हैं उसे देवी घोषित किया जाता है।

इन लड़कियों को दिया जाता है अविनाशी का दर्जा
इनकी पूजा करने वाले हजारों हिंदू और बौद्धधर्मी मानते हैं कि ये बुराई से उनकी सुरक्षा करती हैं। इन लड़कियों को अविनाशी(कभी ना खत्म होने वाला) का दर्जा दिया जाता है। इन्हें मंदिरों में बिलकुल देवी-देवताओं की तरह स्थापित भी किया जाता है। लड़की के पीरियड शुरू होने के बाद ही उससे कुमारी का दर्जा छिनता है।



इनको लेकर है तरह-तरह की मान्यताएं
कुमारी बनने वाली लड़की की खामोशी को तोहफे के तौर पर देखा जाता है। कहा जाता है कि अगर ये शांत रहती हैं तो भक्तों की मन्नतें पूरी होती है। इनके चिल्लाकर रोने और तेज आवाज में हंसने को लेकर मान्यता है कि परिवार में कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ सकता है। वहीं, धीरे से रोने और आंख मलने को लेकर मानना है कि किसी की मौत हो सकती है।

तमाम तरह की पाबंदियों से गुजरना पड़ता है इन्हें
इन्हें देवी का रूप माना जाता है इसलिए इन्हें मंदिर के बाहर अपने पैरों पर भी चलने की आजादी नहीं हैं। रथ, सिंहासन और लोगों की गोद में ही उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है। कुमारियों के स्कूल जाने और रोजाना की सोशल एक्टिविटीज में हिस्सा लेने की भी मनाही है। उन्हें अपने घर या मंदिर के अलावा कहीं बाहर जाने की अनुमति साल भर में सिर्फ 13 बार ही मिलती है। पीरियड शुरू होते ही उनसे 12 दिन की गुफा प्रथा कराई जाती है और वहीं से उनके कुमारी के जीवन का अंत हो जाता है।



बहुत ही मुश्किल भरा है इनका जीवन
लड़कियों को दिया गया ये नाम और दर्जा इनके लिए किसी अभिशाप से कम नहीं, ये नाम और दर्ज इनकी पूरी जिंदगी बदलकर रख देता है। इन्हें देवी की तरह मंदिर में ही बैठना होता है, उत्सवों और धार्मिक यात्रा में ही कुमारियां मंदिर के बाहर निकल पाती हैं। अफवाहें ये भी हैं कि इन लड़कियों की शादी में बहुत मुश्किलें आती हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इनसे शादी करने वाले की बहुत कम उम्र में मौत हो जाती है।

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