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ताइवान का उभरना चीन के लिए सबसे बड़ी चुनौती, अमरीकी हथियार बिगाड़ सकते हैं ड्रैगन का खेल

China-Taiwan Conflict: ताइवान सैन्य क्षमता को मजबूत करने के लिए अमरीका से हथियार खरीद रहा है
चीन ने ताइवान को हथियार बेचने वाले अमरीकी कंपनी पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है

Jul 16, 2019 / 09:37 am

Anil Kumar

शी जिनपिंग, साई इंग-वेन, डोनाल्ड ट्रंप

ताइवान का उभरना चीन के लिए सबसे बड़ी चुनौती, अमरीकी हथियार बिगाड़ सकते हैं ड्रैगन का खेल

बीजिंग। स्वशासित ताइवान को लेकर अब चीन और अमरीका के बीच दूरियां बढ़ने लगी है। अमरीका-ताइवान के बीच हाल की हथियार डील ने दोनों देशों के बीच दूरियां बढ़ा दी हैं। उधर चीन और ताइवान के अपने अलग मसले हैं। असल में चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश के रूप में देखता है।

चीन ने ताइवान को हमेशा से ऐसे प्रांत के रूप में देखा है जो उससे अलग हो गया है। चीन मानता रहा है कि भविष्य में ताइवान चीन का हिस्सा बन जाएगा। यही कारण है कि ताइवान और चीन के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है।

इन सबके बीच ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ( Taiwan president Tsai Ing-wen ) अमरीका दौरे पर पहुंची हैं, जहां पर वह चार दिनों तक रूकेंगी। अमरीका ने ताइवान को एक स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दी है। इसको लेकर चीन अमरीका से खफा है।

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इससे पहले अमरीका और चीन के बीच व्यापार को लेकर मतभेद सामने आ चुके हैं। हालांकि जापान के ओसाका में हुए G20 शिखर सम्मेलन के दौरान अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मुलाकात कर व्यापारिक मतभेदों को दूर करने पर सहमति जताई।

लड़ाकू विमान

अमरीकी हथियार खरीद रहा ताइवान

ताइवान को अपने अधिकार क्षेत्र में करने के लिए चीन सैन्य शक्ति का इस्तेमाल कर चुका है। इससे डरा ताइवान अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाने पर लगातार काम कर रहा है।

लिहाजा अब ताइवान अमरीका के साथ सैन्य हथियार खरीदने के लिए समझौते कर रहा है। ताइवान ने एक अमरीकी कंपनी के साथ 2.2 बिलियन अमरीकी डॉलर (150.82 अरब रुपये) के हथियार खरीदने को लेकर समझौता करने के लिए कदम बढ़ाया है।

यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने 8 जुलाई को ताइवान के साथ मल्टीबिलियन डॉलर के हथियारों के सौदे को अपनी मंजूरी दी, जिसमें 108 M1A2T एब्राम टैंक और स्टिंगर मिसाइल शामिल हैं।

ताइवान के इस कदम से चीन परेशान हो गया है। परेशान चीन ने अमरीकी कंपनी को धमकी दी है। चीन ने कहा कि यदि ताइवान के साथ कोई भी रक्षा सौदा अमरीकी कंपनी करता है तो उसपर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।

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ताइवान ने चीन को झटका देते हुए कहा वह किसी भी हाल में अपने देश की रक्षा के लिए सुरक्षा बलों को मजबूत करना जारी रखेगा।

ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि चीन से बढ़ते सैन्य खतरे के मद्देनजर अमरीकी हथियार ताइवान की आत्मरक्षा के लिए जरूरी हैं। देश की सेना अपने रक्षा बलों को मजबूत करना, राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना, अपनी सरजमीं की रक्षा करना जारी रखेगी। सेना यह सुनिश्चित करेगी कि देश की आजादी एवं लोकतंत्र पर हमला न हो।

ताइवान पर दबाव बनाने के लिए चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ( PLA ) ने चीन के ‘दक्षिण-पूर्वी तट’ पर सैन्य अभ्यास किया जिसमें नौसेना और वायु सेना दोनों शामिल थे।

ट्रंप और शी जिनपिंग

ताइवार पर चीन-अमरीका में बढ़ती दूरियां

ताइवान के मामले को लेकर चीन और अमरीका के रिश्तों में दूरियां बढ़ती नजर आ रही है। चीन ताइवान को अपने एक प्रांत के तौर पर देखता है। यही कारण है कि बीते दिनों चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नियमित रूप से ताइवान के पुन: एकीकरण का आह्वान किया है।

अमरीका ताइवान को चीन से अलग एक देश मानता है। ताइवान की स्वतंत्रता और संप्रभुता को मान्यता देता है। इसी को लेकर चीन अमरीका से खफा है। अब ताइवान को सैन्य सामान बेचने के लेकर भी अमरीका से चीन खफा हो गया है।

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चीन ने अमरीका से दो टूक कहा है कि वाशिंगटन ताइवान को लेकर ‘oneChina’ के सिद्धांत का उल्लंघन कर रहा है। चीन ने अमरीका से आग्रह किया है कि चीन-अमरीका संबंधों व शांति और स्थिरता को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए ताइवान के मुद्दे को ठीक से हैंडल करें।

हालांकि चीनी सरकार के विरोध के बावजूद ताइवान के राष्ट्रपति साई इंग-वेन को अमरीका ने वाशिंगटन में आने की इजाजत दी। इतना ही नहीं न्यूयॉर्क में ताइवान के शेष 17 सहयोगियों के प्रतिनिधियों के साथ एक सार्वजनिक बैठक की।

ताइवान

2020 में ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव

ताइवान में 2020 में राष्ट्रपति के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में राष्ट्रपति साई ने अमरीका में चीन की आलोचना करते हुए ताइवान में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा करने की अपील की।

ताइवान के नेताओं ने जनवरी 2020 में होने वाले राष्ट्रीय चुनाव से पहले चीन विरोधी रुख को तेजी से आगे बढ़ाया है।

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साई इंग-वेन ने यह घोषणा की कि वह विपक्षी कुओमितांग राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हान कुओ-यू का सामना करेंगे, जिन्होंने 44% वोट के साथ अपनी पार्टी का नामांकन जीता है। हान कुओ-यू चीन का समर्थक है।

हालांकि हान जून में एक रैली को कहा था कि ‘वन कंट्री, टू सिस्टम्स’ को ताइवान में कभी लागू नहीं किया जा सकता। ताइवान के लोगों ने इसे स्वीकार नहीं किया।

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