इस चुनाव में 15 मिलियन से अधिक श्रीलंकाईयों ने मतदान का इस्तेमाल किया। इसके साथ ही 35 उम्मीदवारों के किस्मत का फैसला मतपेटी में बंद हो गया। उम्मीद जताई जा रही है कि रविवार को परिणाम घोषित किए जाएंगे।
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सत्तारूढ़ न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) गठबंधन के सजीथ प्रेमदासा (52) और श्रीलंका पोडुजना पेरमुना (एसएलपीपी) के गोतबाया राजपक्षे (70) के बीच मुख्य मुकाबला है। इसके अलावा 35 उम्मीदवार भी अपना भाग्य इस मतदान में अजमा रहे हैं।
मैदान में इस बार सबसे अधिक उम्मीदवार
1982 के बाद ऐसा पहली बार है, जब राष्ट्रपति चुनाव में सबसे अधिक दावेदार मैदान में हैं। 2015 में केवल 18 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था।
गोतबाया राजपक्षे एक सेवानिवृत्त सैनिक हैं, जिन्होंने उस दौरान श्रीलंका के रक्षा विभाग की कमान संभाली थी, जब उनके बड़े भाई महिंदा राजपक्षे राष्ट्रपति (2005-2015) थे। इसके अलावा जब श्रीलंका ने 2009 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के साथ अपना युद्ध समाप्त किया तब भी वह रक्षा विभाग के प्रमुख रहे।
हलांकि, महिंदा राजपक्षे की वर्ष 2015 की हार के बाद इस परिवार का राजनीतिक भविष्य लुप्त होता दिखाई दे रहा था, लेकिन इस साल 21 अप्रैल को ईस्टर के रोज हुए हमलों के बाद से गोतबाया की स्थति काफी मजबूत हुई है। इन हमलों में 269 लोग मारे गए थे।
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चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने खुद को सिंहली बौद्ध बहुमत के राष्ट्रवादी और चैंपियन के रूप में प्रस्तुत किया, जबकि अप्रैल के हमलों के मद्देनजर मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा का वादा भी किया।
दूसरी ओर लिट्टे द्वारा मई 1993 में मारे गए 1989 में राष्ट्रपति बने रणसिंघे प्रेमदासा के पुत्र सजीथ प्रेमदासा ने मुस्लिम और तमिल अल्पसंख्यकों के लिए लड़ने का संकल्प लिया है।
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