दरअसल, पाकिस्तान की आर्थिक हालात बहुत ही खराब है और इससे उबारने के लिए इमरान खान लगातार कोशिश भी कर रहे हैं, लेकिन कामयाबी नहीं मिल रही है। इसके लिए अब इमरान खान ने कई देशों से कर्ज लिया है। इसमें चीन सबसे बड़ा कर्जदार है।
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इसके अलावा चीन के शिनजियांग प्रांत ( Xinjiang Province ) को ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) प्रोजेक्ट के कर्ज का बोझ भी पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए भारी साबित होने लगा है। लिहाजा, कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे पाकिस्तान अब इसकी भरपाई के लिए एक अलग पैंतरा अपनाने की जुगत में है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान लागातर गिरती अर्थव्यवस्था को उबारने और कर्ज को चुकाने के लिए अपनी PoK का कुछ हिस्सा चीन को सौंप सकता है। यदि ऐसा होता है तो भारत के लिए किसी झटके से कम नहीं होगा।
CPEC पर भारत जता चुका है विरोध
आपको बता दें कि PoK भारता का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन पाकिस्तान ने सैन्य बल के आधार पर इसपर गैरकानूनी तरीके से कब्जा कर रखा है। लेकिन अब भारत इस कोशिश में जुट गया है कि PoK को पाकिस्तान के कब्जे से आजाद कराया जाए।
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इससे पहले पाकिस्तान ने PoK के कुछ हिस्सा चीन को सौंप चुका है और आगे सौंपने की तैयारी में है। चूंकि चीन की महत्वकांक्षी परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर पीओके के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र से गुजर रहा है, जिसको लेकर भारत कड़ी आपत्ति दर्ज करा चुका है और इसे भारत की संप्रभुता का हनन बताया है।
द यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अब यदि पाकिस्तान एक बार फिर से PoK का कुछ हिस्सा चीन को सौंपता है तो चीन को डर है कि भारत की तरफ से कड़ा प्रतिरोध किया जाएगा।
चीन से 21.7 अरब डॉलर का कर्ज ले चुका है पाकिस्तान
आपको बता दें कि पाकिस्तान CPEC के लिए चीन से दिसंबर 2019 तक करीब 21.7 अरब डॉलर का कर्ज ले चुका है। इसमें से 15 अरब डॉलर का कर्ज चीनी सरकार और शेष 6.7 अरब डॉलर का कर्ज वहां के वित्तीय संस्थानों ने दिया है।
अब जब समय सीमा पूरा हो रहा है तो यह कर्ज चुकाना पाकिस्तान के लिए सरदर्द बनता जा रहा है। पाकिस्तान के पास केवल 10 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा है। ऐसे में अब पाकिस्तान के लिए सवाल है कि ये कर्ज कैसे चुकाएगा।
बता दें कि CPEC प्रोजेक्ट की लागत 60 अरब डॉलर है। इस परियोजना की शुरुआत में ही विशेषज्ञ इसे पाकिस्तान के लिए ‘कर्ज के अंधे कुएं’ सरीखा बता चुके हैं। इमरान को लगता था कि इससे पाकिस्तान में रोजगार के अवसर पैदा होंगे लेकिन इसके ठीक विपरित हो रहा है।
इस परियोजना में इस्तेमाल होने वाली सामग्री चीन से आयात की जा रही है। इसके अलावा जो भी मजदूर इसमें काम कर रहे हैं वे भी सभी के सभी चीनी मजदूर हैं। ऐसे में पाकिस्तानियों के लिए इस परियोजना से अब तक कुछ भी हासिल नहीं हुआ है।
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