हालांकि पाकिस्तान की इस आस को सोमवार को झटका लगा है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र आमसभा में यूएनजीए अध्यक्ष ने पाकिस्तान को शिमला समझौते की याद दिलाई है। उन्होंने कश्मीर सहित सभी द्विपक्षीय मुद्दों को हल करने के लिए शिमला समझौते का हवाला दिया।
दरअसल पाकिस्तान चाहता है कि तुर्की से अपनी दोस्ती का उपयोग वह यूएन के मंच पर कश्मीर मुद्दे को जोरशोर से उठाए। इसी खास मकसद से यूएनजीए के नए अध्यक्ष और उनकी टीम को पाकिस्तान में आने का न्योता दिया गया है। बीते कई महीनों से तुर्की और पाकिस्तान के बीच नजदीकियां देखने को मिल रहीं हैं। दोनों इस्लामिक देश हैं।
ऐसे में पाक पीएम इमरान खान यूएनजीए के अध्यक्ष वोल्कन बोजकिर की पाकिस्तान यात्रा को लेकर काफी उत्साहित हैं। बीते दिनों उनका पाक दौरा टल गया था। इसके लिए पाकिस्तान काफी तैयारियां भी कर रहा था। इस यात्रा में बोजकिर के साथ पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी के साथ कई बैठकें होनी थीं। इसका इरादा साफ था कि उनका फोकस कश्मीर मुद्दे को सामने रखना था।
सूत्रों के अनुसार भारत भी इस दौरे पर निगाह रखे हुए है। इस पहले कश्मीर पर चीन का साथ पाक के लिए कारगर साबित नहीं हुआ है। इस मामले में भारत को कई देशों का समर्थन प्राप्त है। हालांकि, तुर्की पाकिस्तान का साथ देता रहा है। लेकिन भारत का कहना है कि यूएनजीए अध्यक्ष के रूप में तुर्की के डिप्लोमेट का रवैया वैश्विक विचारधारा के अनुकूल होगा।