दरअसल, इधर पीएम मोदी के लेह दौरे ( PM Modi Leh Visit ) का असर चीन में साफ-साफ देखने को मिला, वहीं पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ( PM Imran Khan ) ने आनन-फानन में तीनों सेनों के प्रमुखों और खुफिया एजेंसी ISI प्रमुख के साथ समीक्षा बैठक की। इमरान खान को इस बात का डर है कि भारत कभी भी PoK पर हमला कर सकता है और उसका हमदर्द चीन मदद नहीं कर पाएगा। क्योंकि मौजूदा समय में कोरोना वायरस और कई देशों के साथ सीमा विवाद को लेकर चीन पूरी दुनिया में घिरता नजर आ रहा है।
India China Tension: पूर्व चुनाव आयुक्त ने 59 APP Ban के बाद बताया चीन को चिढ़ाने का तरीका
ऐसे में चीन के साथ भारत के टकराव के बीच पाकिस्तान के ऊपर इस बात का भारी दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह चीन को लेकर या तो अपनी नीति की समीक्षा करे अन्यथा वैश्विक बहिष्कार और आलोचना झेलने के लिए तैयार हो जाए।
सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ( Pakistan Foreign Ministry ) ने इमरान खान के प्रधानमंत्री कार्यालय को ये बताया है कि या तो वह चीन के साथ अपने संबंधों को लेकर तत्काल अपनी नीति बदले या फिर उन आर्थिक महाशक्तियों के गुस्से का खामियाजा भुगतने को तैयार रहे, जो कोरोना महामारी ( Coronavirus ) के दौरान भारत के साथ चीन के आक्रामक तेवर के चलते उसे अलग-थलग करने को लेकर संकल्पित हैं।
यूरोप में PIA के उड़ानों पर बैन
रिपोर्ट में ये बताया गया है कि पाकिस्तान को पहला संकेत इस बात से मिला कि पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस ( PIA ) के उड़ानों पर यूरोपीय यूनियन ने कम से कम 6 महीने के लिए बैन लगा दिया। PIA के किसी भी विमान को यूरोप में लैंडिंग करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। हालांकि पाकिस्तान ने यूरोपीय यूनियन ( European Union ) को यह पूरी तरह से समझाने की कोशिश की कि केवल अंतरराष्ट्रीय क्वालीफाईड पायलट्स ( International Qualified Pilots ) ही उन मार्गों में उड़ान भरेंगे लेकिन यूरोपीय संघ ने सुनने से साफ इनकार कर दिया और चीन इस मामले में पाकिस्तान के लिए कुछ भी नहीं कर सका।
इधर भारत के खिलाफ चीन के आक्रामक तेवर के बाद यूरोपीय यूनियन भी कूटनीतिक स्तर पर बीजिंग को अलग-थलग करने पर लगा है। इसके अलावा पाकिस्तान के अंदर ही चीन के खिलाफ आवाजें उठने लगी है। बलूचिस्तान और गिलगिट-बाल्टिस्तान ( Gilgit-Baltistan ) में जिस तरह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे ( CPEC ) को लेकर पाकिस्तानी संसधानों का दोहन किया जा रहा है, और चीनी कंपनियां ( Chinese Company ) चाइनीज मजदूरों को ही प्राथमिकता दे रहे हैं, उससे स्थानीय लोगों में काफी गुस्सा है। ऐसे में ये कहा जा रहा है कि पाकिस्तान का इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।