जानकारी के मुताबिक, इस्लामाबाद हाईकोर्ट के 3 जजों की बेंच ने ख्वाजा आसिफ के पास संयुक्त अरब अमीरात का वर्क परमिट होने के कारण उन्हें अयोग्य ठहराया है। इससे पहले 10 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आपको बता दें कि बीते साल ख्वाजा आसिफ के खिलाफ एक याचिका अदालत में दाखिल की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई के बाद इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज फैसला सुनाया गया है।
पाकिस्तानी मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक, ख्वाजा आसिफ के खिलाफ दाखिल की गई याचिका में कहा गया था कि ख्वाजा आसिफ ने 2013 के आम चुनावों के दौरान अपने नॉमिनेशन फॉर्म में गलत जानकारी दी थी। उन पर आरोप था कि केन्द्रीय मंत्री होने के बावजूद ख्वाजा आसिफ ने यूएई की आईएमईसीएल कंपनी में बतौर कर्मचारी काम किया और वहां से सैलरी भी ली। ऐसा कर उन्होंने संविधान की शपथ की अवहेलना की है। आपको बता दें कि ख्वाजा आसिफ के खिलाफ इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के सदस्य उस्मान डार ने याचिका दाखिल की थी। उस्मान डार पूर्व क्रिकेटर और राजनेता इमरान खान के नेतृत्व वाली तहरीक-ए-इंसाफ के सदस्य हैं और साल 2013 में आम चुनावों में ख्वाजा आसिफ से हार चुके हैं।
पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी पीएमएल (एन) के लिए ये दोहरा झटका माना जा राह है। इससे पहले पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पार्टी के अध्यक्ष नवाज शरीफ को भी कोर्ट ने अयोग्य ठहरा दिया था। नवाज शरीफ पर ये फैसला पनामा पेपर लीक मामले में सुनाया गया था। इसके बाद नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री की कुर्सी भी छोड़नी पड़ी थी। नवाज शरीफ पर आरोप था कि उन्होंने बोर्ड ऑफ कैपिटल एफजीई के चेयरमैन होने के नाते मिलने वाली अपनी सैलरी डिक्लेयर नहीं की थी।