बताया जा रहा है इस जंग में अहमद मसूद की सेना का पलड़ा अब तक भारी है और उसने अब तक तालिबान के करीब 300 लड़ाकों को मार गिराया है। यही नहीं, बगलान प्रांत में भी स्थानीय विद्रोही संगठन अब सक्रिय हो गए हैं और तालिबान से जंग लड़ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि यहां भी तालिबान के लड़ाकों को हार का सामना करना पड़ रहा है। इससे बगलान प्रांत वाले उनके कब्जे के तीन जिले उनकी पकड़ से छूट गए हैं।
-
इन सबके बीच फिलहाल यह सच है कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन कायम होने वाला है और किसी भी दिन वह अपनी सरकार के प्रारूप का ऐलान कर सकता है। हालांकि, दुनियाभर में तालिबान इस समय चर्चा का केंद्र बना हुआ है। कुछ देश उसे मान्यता दे रहे हैं, तो कई अब भी इस उलझन में हैं कि क्या किया जाए।
बहरहाल, अफगानिस्तान में इस समय ऐसे कई संगठन हैं, जिन्हें अब तालिबान के आने के बाद ताकत मिल सकती है। ये खूंखार संगठन इस देश में अपनी मौजूदगी को और मजबूत बना सकते हैं। इन संगठनों के नाम हैं- अलकायदा कोर, अलकायदा इन इंडियन सब कांटिनेंंट यानी एक्यूआईएस, इस्लामिक स्टेट खोरासान प्रोविंस यानी आईएसकेपी, हक्कानी नेटवर्क, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी, इस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट यानी ईटीआईएम और इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान।
-
अफगानिस्तान में तालिबान के सक्रिय होने के बाद इन सभी आतंकी संगठनों को भी मजबूती मिल सकती है, क्योंकि इन संगठनों से तालिबान के रिश्ते अच्छे हैं। माना जा रहा है कि तालिबान के आने से अफगानिस्तान में इन आतंकी संगठनों की सक्रियता भी बढ़ेगी। यह न सिर्फ अफगानिस्तान बल्कि, आसपास के देशों के लिए भी खतरनाक साबित होगा।। कई देशों में ये संगठन अस्थिरता पैदा करेंगे।
वैसे, तालिबान समेत ये तमाम आतंकी संगठन अफगानिस्तान के पैसे का दुरुपयोग नहीं कर पाएं, इसके लिए अमरीका ने अपने यहां के बैंकों में जमा पूर्ववर्ती अफगान सरकार के खातों को सील कर दिया है। इससे कोई भी आतंकी संगठन इन पैसों का दुरुपयोग नहीं कर पाएगा, लेकिन यह तय है कि जिस तरह इन्हें अब दूसरे देशों और अवैध गतिविधियों के जरिए पैसा मिल रहा था, वह अब और तेज होगा।