दरअसल, भारत के खिलाफ नेपाल को भड़काकर चीन ने काठमांडू के साथ कई अहम रक्षा समझौते किए हैं। चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगही (Defence Minister Wei Fenghe) ने नेपाल से नजदीकी संबंधों को बनाए रखने का भरोसा दिया है।
इतना ही नहीं उन्होंने वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करने के लिए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) की जमकर तारीफ भी की। आपको बता दें कि भारत-नेपाल के बीच जारी सीमा विवाद का फायदा उठाकर चीन ने काठमांडू के साथ कई सैन्य समझौते किए हैं।
नेपाली सेना को PLA देगी ट्रेनिंग
नेपाल-चीन के बीच कई अहम रक्षा समझौते हुए हैं। इसमें सबसे प्रमुख ये है कि नेपाल चीन से हथियार खरीदेगा। इसके अलावा नेपाली सेना को अब चीनी आर्मी PLA ट्रेनिंग देगी। चीनी रक्षा मंत्री ने रविवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मुलाकात की थी और साझा हित के मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान किया।
इस दौरान चीन ने नेपाल की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हर समय सहायता देने का वादा किया। चीनी रक्षा मंत्री वेई ने नेपाली सेना प्रमुख जनरल पूर्ण चंद्र थापा से सैन्य सहयोग और प्रशिक्षण बहाल करने पर बातचीत की।
लद्दाख में चल रहे तनाव पर भड़के अमरीकी रक्षा मंत्री, कहा- भारत पर सैन्य दबाव बना रहा है चीन
चीनी विदेश मंत्रालय ने वेई की नेपाल यात्रा को लेकर कहा कि नेपाली नेताओं के साथ रक्षा मंत्री का वार्ता सकारात्मक रही। चीन नेपाल के साथ करीबी संपर्क जारी रखेगा और हमेशा सैन्य जरूरतों के लिए सहायता उपलब्ध कराता रहेगा।
भारत-नेपाल संबंध से चीन में घबराहट
आपको बता दें कि हाल के समय में सीमा विवाद को लेकर भारत-नेपाल के रिश्तों में तल्खी आ गई है। सदियों पुराने रिश्ते को फिर से सामान्य करने के लिए हाल में ही भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के चीफ सामंत कुमार गोयल ने काठमांडू में नेपाली पीएम ओली से अकेले में मुलाकात की थी।
इसके बाद भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे तीन दिवसीय यात्रा पर काठमांडू पहुंचे थे। वहां पर नरवणे को नेपाली राष्ट्रपति ने सम्मानित भी किया था। इसके अलावा कुछ दिन पहले ही भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला भी नेपाल यात्रा पर गए थे।
एक के बाद एक भारतीय अधिकारियों की नेपाल यात्रा से चीन में एक घबराहट आ गई और घबराए चीन ने एक योजना के तहत रक्षा मंत्री वेई की नेपाल दौरा तय किया। नेपाल अभी तक अपनी जरूरत के रक्षा उपकरणों का अधिक से अधिक हिस्सा भारत से खरीदता आया है। लेकिन अब चीन के नेपाल को अपने नापाक चाल में फंसा लिया है। अब देखना होगा कि भारत क्या कदम उठाता है।