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12 से 15 साल की उम्र के थे सभी बच्चे
कोर्ट की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, सर्वोच्च न्यायालय ने झाओ को मृत्युदंड की मंजूरी दी थी क्योंकि उसका मकसद घिनौना था और हत्या में उपयोग किया गया तरीका अत्यंत क्रूर था। उसने हमला उस वक्त किया गया जब बच्चे अपनी कक्षाओं से बाहर निकल रहे थे। सभी बच्चे 12 से 15 साल की उम्र के थे। कोर्ट ने कहा था कि ऐसे गंभीर अपराध को क्षमा नहीं करना चाहिए। बता दें कि कई अन्य देशों की तुलना में चीन में हिंसक अपराध पर कड़ी सजा का प्रावधान है। पिछले कुछ वर्षों से बीजिंग समेत देश के कई शहरों में चाकू और कुल्हाड़ी से मारने की घटनाओं में इजाफा हुआ है। चीन हर साल आपराधिक मामले के आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं करता लेकिन संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के मुताबिक यहां पर अन्य देशों की अपेक्षा अपराध ज्यादा होता है।